उज्जैन। कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच होम आईसोलेशन में उपचार के लिए रखे गए मरीजों का आंकड़ा शहर की 160 से ज्यादा कॉलोनियों में 1600 के पार चला गया है। यह मरीज होम आईसोलेशन में रहते हुए गाईड लाईन का पालन करें, इस पर निगरानी के लिए रेपिड रिस्पांस की 15 टीमें लगी हुई है। प्रत्येक टीम में 1 पुलिस के जवान को भी लगाया गया है। कोरोना की तीसरी लहर में अस्पताल से ज्यादा मरीज घरों में रहकर उपचार करा रहे हैं। नए वेरिएंट की तीव्रता पिछले डेल्टा वेरिएंट से काफी कम होने के कारण होम आईसोलेशन में ही 5 से 7 दिन के उपचार के बाद मरीज ठीक हो रहे हैं। यह मरीज ठीक होने से पहले होम आईसोलेशन के नियमों को नजर अंदाज कर बाहर न घूमें इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने निगरानी हेतु रेपिड रिस्पांस टीम को जवाबदारी सौंपी है।
संक्रमण का दायरा तथा लगातार 200 से ऊपर आ रहे मरीजों के कारण शहर के 13 थाना क्षेत्रों की 160 से अधिक कॉलोनियों में मरीजों को होम आईसोलेशन में रखा गया है तथा उनके घर के आगे बेरिकेट्स लगाकर कंटेनमेंट झोन बनाए गए हैं। करीब 10 दिन पहले महानंदानगर क्षेत्र की एक कोरोना पॉजीटिव महिला मरीज बाहर घूमते हुए पाई गई थी। कलेक्टर के आदेश पर उक्त महिला के खिलाफ महामारी एक्ट के तहत धारा 188 में कार्रवाई की गई थी। इसके बाद होम आईसोलेशन में रह रहे मरीजों की निगरानी में रेपिड रिस्पांस टीम को लगा दिया गया था। टीम के प्रभारी डॉ. रौनक एलची ने बताया कि होम आईसोलेशन में रखे गए मरीजों की निगरानी, उनके उपचार और स्वास्थ्य की जानकारी के लिए कुल 15 टीमें काम कर रही है। टीम में एक डॉक्टर के अलावा एक-एक पुलिसकर्मी को भी प्रशासन ने लगाया है ताकि लोगों से कोरोना गाईड लाईन का पालन कराया जा सके।
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