कोलंबो। भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका (Sri Lanka Economic Crisis) ने खुद को कंगाल (Bankruptcy) होने से बचाने के लिए सोना बेचना शुरू कर दिया है। ऐसा करके यह देश अपनी अर्थव्यवस्था को ज़िंदा रखने की कोशिश कर रहा है। श्रीलंका (Sri Lanka) के केंद्रीय बैंक (Central bank) के मुताबिक उसने खत्म होते विदेशी मुद्रा के भंडार को बचाने के लिए अपने गोल्ड रिजर्व (Gold Reserve) का एक हिस्सा बेच दिया है। श्रीलंका के प्रमुख अर्थशास्त्री और सेंट्रल बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर डॉ. डब्ल्यू. ए विजेवर्धने (chief economist and former deputy governor of the central bank, Dr. W. A. Vijewardene) ने बताया कि केंद्रीय बैंक का गोल्ड रिजर्व कम हुआ है।
विजेवर्धने ने ट्वीट में लिखा है कि सेंट्रल बैंक का गोल्ड रिजर्व 38.2 करोड़ डॉलर से घटकर 17.5 करोड़ डॉलर का रह गया है। वहीं, श्रीलंका के केंद्रीय बैंक के गवर्नर निवार्ड कैब्राल (Governor Nivard Cabral) ने भी इस पर टिपण्णी करते हुए कहा कि देश ने अपने सोने के भंडार के एक हिस्से को लिक्विड फॉरेन एसेट्स को बढ़ाने के लिए बेच दिया है।
जानकारी के मुताबिक, श्रीलंका (Sri Lanka) के केंद्रीय बैंक ने चीन से करेंसी स्वैप के बाद साल के अंत में ही ने अपने गोल्ड रिजर्व को बढ़ाया था। रिपोर्ट के मुताबिक अनुमान है कि श्रीलंका के केंद्रीय बैंक के पास 2021 की शुरुआत में 6.69 टन सोने का भंडार था। इसके बाद अब लगभग 3.6 टन सोना बेचा गया है. इसके चलते इस देश के पास 3.0 से 3.1 टन सोना ही रह गया। श्रीलंका के केंद्रीय बैंक ने 2020 में भी सोना बेचा था। श्रीलंका के पास पहले 19.6 टन सोने का भंडार था, जिसमें से 12.3 टन सोना बेचा गया। इससे पहले साल 2015, 2018 और 2019 में भी श्रीलंका ने सोना बेचा था।
भारत में कब बानी थी ऐसी स्थिति
बता दें कि भारत ने भी 1991 में उदारीकरण से पहले देश की खराब अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए 2 बार सोना गिरवी रखा था। यह नौबत तब आई जब यशवंत सिन्हा वित्त मंत्री थे और चंद्रशेखर प्रधानमंत्री थे। उस दौर में अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने भारत की रेटिंग गिरा दी थी। इस वजह से भारत के इंटरनेशनल मार्केट में दिवालिया होने का खतरा मंडरा गया था। ऐसे में सोना गिरवी रखने का फैसला किया गया था। इसके चलते 20 हजार किलो सोने को चुपके से मई 1991 में स्विट्जरलैंड के यूबीएस बैंक (Switzerland, UBS Bank) में गिरवी रखा गया था। जिसके बदले में भारत को 20 करोड़ डॉलर मिले थे।
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