- दिल्ली से आये पत्र पर हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान, नोटिस जारी
जबलपुर। पास्को एक्ट के तहत पीडि़तो को मुआवजा नहीं दिये जाने के संबंध में मप्र हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को दिल्ली निवासी अधिवक्ता ने पत्र लिखा था। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ ने पत्र को जनहित याचिका मानते हुए उक्त मामले की सुनवाई जनहित याचिका के रूप में किये जाने के निर्देश दिये थे। जस्टिस शील नागू व जस्टिस सुनीता यादव की युगलपीठ ने मामले की प्रारंभिक सुनवाई पश्चात् अनावेदकों को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब पेश करने के निर्देश दिये है।
हाईकोर्ट को यह पत्र दिल्ली निवासी अधिवक्ता मोहित कुमार गुप्ता की ओर से भेजा गया था। पत्र याचिका में कहा गया था कि पास्को के प्रकरण में पीडि़तों को मुआवजा तथा उनके पुर्नवास का प्रावधान है। एक्ट में प्रावधान होने के बावजूद भी पीडि़तों को मुआवजा प्रदान नहीं किया जा रहा है। इस संबंध में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा भी आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किये गये है। एक्ट में एफआईआर दर्ज किये जाने तथा दोषी ठहराये जाने पर पीडि़तों को मुआवजा तथा अन्य मदद का स्पष्ट प्रावधान दिया गया है। पत्र याचिका में केन्द्र व राज्य सरकार के महिला एव बाल विकास विभाग, प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव, हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल तथा मध्य प्रदेश लीगल सर्विस अथॉरिटी को पक्षकार बनाया गया था। युगलपीठ ने पत्र याचिका की सुनवाई करते हुए अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिये है। मामले में शासन की ओर से उपमहाधिवक्ता स्वप्निल गांगुली ने पक्ष रखा।