दूसरी लहर में इलाज पर हजारों रुपए खर्च
इससे ज्यादा तो डेंगू के इलाज पर खर्च हो जाते हैं
इंदौर। दूसरी लहर (second wave) के दौरान जिन दवाइयों (medicines) की कालाबाजारी (black marketing) रिकॉर्ड तोड़ रही थी उन्हीं दवाओं की तीसरी लहर (third wave) में इस बार कोई पूछपरख ही नहीं हो रही है। ये दवाएं मुंहमांगे दाम पर बड़ी मशक्कत से मिल रही थीं और इनके लिए लोग हजारों रुपए खर्च कर रहे थे। पूर्व जिला क्षय अधिकारी डॉक्टर विजय छजलानी (Vijay Chhajlani) के अनुसार इस बार जो दवाएं 3 से 5 दिन तक कोरोना के इलाज में इस्तेमाल हो रही हैं उनका कुल खर्च 250 रुपए से ज्यादा नहीं है, यानी मरीज (patients) को हर दिन 50 रुपए का डोज 5 दिनों तक दिया जा रहा है। डॉक्टर छजलानी की बात का समर्थन मेडिकल स्टोर्स (medical stores) से लगाकर दवा बाजार के मेडिकल एजेंसी (medical agency) वाले तक कर रहे हैं। 250 रुपए में मरीज पूरी तरह डंके की चोट पर स्वस्थ हो रहे हैं।
इंदौर में 2020 मार्च से शुरू हुई कोरोना की पहली लहर (first wave) से लेकर साल 2021 में दूसरी लहर (second wave) और साल 2022 में फर्राटे भर रही तीसरी लहर (third wave) के दौरान 1 लाख 71 हजार 167 कोरोना मरीज सामने आ चुके हैं। मंगलवार रात तक कोरोना पीडि़तों की संख्या 15,115 हो चुकी थी। कोरोना के आंकड़े भले ही हर दिन ऊंची छलांग मार रहे हों, मगर इस बार सबसे बड़ी राहत की बात यह है कि तीसरी लहर में मरीजोंं का इलाज संबंधित खर्च डेंगू, बुखार, उल्टी-दस्त के इलाज से भी कम पड़ रहा है। पहली और दूसरी लहर में जहां मरीजों को मेडिकल जांचों ( medical tests) व इलाज पर हजारों रुपए खर्च करना पड़ रहे थे, वहीं इस बार 250 रुपए में कोरोना के मरीज स्वस्थ हो रहे हैं। कोरोना की दूसरी लहर में साल 2022 में जो जानलेवा हालात बने थे वह यकीनन पहली और तीसरी लहर की अपेक्षा ज्यादा चिंताजनक और गंभीर थे। सरकारी व निजी हॉस्पिटल सिस्टम ही नहीं, मेडिकल स्टोर, पैथालॉजी लैब्स के सारे मैनेजमेंट फेल साबित हो चुके थे। दूसरी लहर में कोरोना मरीजों के इलाज के लिए अतिआवश्यक जीवनरक्षक इंजेक्शन, साइरप, दवाइयों का स्टॉक खत्म बताया जा रहा था। फिर जीवनरक्षक दवाइयों के मुंहमांगे दाम वसूले जा रहे थे। कई जगह तो मुंहमांगी कीमत देने के बाद भी इंजेक्शन व दवाइयां नहीं मिल रही थीं, मगर तीसरी लहर में इस बार उन कोरोना मरीजों के लिए दूसरी लहर में इस्तेमाल की जाने वाली महंगी दवाइयों की जरूरत ही नहीं लग रही।
दूसरी लहर में 5000 से कम पड़ते थे
जिन दवाइयों का बोलबाला था इस बार उनकी जरूरत ही नहीं पड़ रही है। दवा बाजार (drug market) में अभिनंदन मेडिकल एजेंसी के संचालक धर्मेंद्र कोठारी ने बताया कि पिछले साल दूसरी लहर के दौरान यह दवाइयां कम पड़ गई थीं, क्योंकि कफ्र्यू, लॉकडाउन के चलते ट्रांसपोर्टेशन में स्टॉक रास्ते में बार-बार होने वाली चैकिंग की वजह से देरी से पहुंच रहा था। दूसरी लहर में जो दवाइयां मरीजों के लिए संजीवनी बनी हुई थीं, इस तीसरी लहर में उन दवाइयों के इस्तेमाल की जरूरत ही नहीं पड़ रही। जैसे पिछली लहर में फेबिफ्लू, यानी फेविपिराविर, टोसिलिजुमैब, आइवरमेकटिंन, रेमडेसिविर, स्टेरॉइड्स की सबसे अत्यधिक मांग थी। इनकी कुल कीमत वैसे तो लगभग 5000 रुपए थी, मगर अतिरिक्त कीमत, यानी कालाबाजारी उस वक्त की परिस्थिति पर निर्भर थी। कुछ दवा व्यापारियों ने पूरे दवा विक्रेताओं के नाम पर बट्टा लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी।
तीसरी लहर में 50 रुपए की दवाई 5 दिन
मल्हारगंज (Malharganj) में उमेश मेडिकल स्टोर के संचालक उमेश शर्मा ने बताया कि इस तीसरी लहर में कोरोना पॉजिटिव के इलाज के वास्ते 1 दिन का डोज 50 रुपए में पड़ता है। इसमें डॉक्सीसाइक्लीन, एंजिथ्रोमाइसिन, एंटीकोल्ड, जिंक कफ साइरप, विटामिन सी इन दवाइयों का इस्तेमाल किया जा रहा है। 5 दिन की इन दवाइयों की कीमत 250 रुपए है। तीसरी लहर के दौरान कोरोना मरीजों की बढ़ती संख्या के साथ-साथ दवा बाजार से लेकर मेडिकल स्टोर्स पर इन्हीं दवाओं की मांग बढ़ गई है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved