नई दिल्ली: कोरोना वायरस का नया ओमिक्रॉन वैरिएंट पूरी दुनिया में हाहाकार मचा रहा है. इसके फैलने की रफ्तार ने खतरनाक डेल्टा वैरिएंट को भी खासा पीछे छोड़ दिया है. वैसे ओमिक्रॉन को विशेषज्ञों ने डेल्टा की तरह जानलेवा नहीं बताया है. लेकिन अब अगला सवाल यह उठ गया है कि ओमिक्रॉन वैरिएंट इम्युनिटी पर कैसा असर डालेगा या ओमिक्रॉन संक्रमित लोगों में इम्युनिटी लेवल क्या रहेगा.
ओमिक्रॉन संक्रमण के बाद बनीं एंटीबॉडी
ओमिक्रॉन से संक्रमित हो चुके व्यक्ति की इम्युनिटी कैसी रहेगी इस बारे में यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट एंजीलिया के इंफेक्शियस डिसीज एक्सपर्ट प्रोफेसर पॉल हंटर कहते हैं, ‘ओमिक्रॉन या अन्य कोई भी वैरिएंट आपकी इम्यूनिटी को बेहतर बनाता है. यही इम्यूनिटी उस वैरिएंट के खिलाफ असरकारक बन जाती है. लेकिन तब भी वह दूसरे लोगों को संक्रमित करता रहता है.’ ओमिक्रॉन से संक्रमित लोगों पर हुई स्टडीज में पाया गया है कि वायरस की चपेट में आए मरीजों के शरीर में एंटी-एन एंटीबॉडीज बने हैं. इसलिए रिकवरी के बाद उन पर उस वायरस का कोई खास असर नहीं हुआ.
6 महीने तक रहेंगी एंटीबॉडी
अध्ययनों में पाया गया है कि 88 फीसदी केस में ओमिक्रॉन संक्रमण से बनने वाली कोरोना वायरस एंटीबॉडीज कम से कम छह महीने तक शरीर में रहती हैं और संक्रमण से सुरक्षा देती है. हालांकि 6 महीने बाद इनका प्रोटेक्शन रेट गिर जाता है. इसके अलावा ओमिक्रॉन जैसे ज्यादा म्यूटेशन वाले वैरिएंट के खिलाफ वैक्सीन का कम असरकारक होना चिंताजनक है. ऐसे में बूस्टर डोज इसके खिलाफ काफी हद तक सुरक्षा देता है. बता दें कि भारत में अब तक ओमिक्रॉन के करीब 8 हजार मामले दर्ज हो चुके हैं.
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved