बेंगलुरु। कर्नाटक हाई कोर्ट (Karnataka HC) ने वकील आर सुब्रमण्यम और पी सदानंद, जिन्होंने NGO इंडिया अवेक फॉर ट्रांसपेरेंसी की तरफ से पैरवी की, उनको विप्रो (Wipro) के फाउंडर चेयरमैन अजीम प्रेमजी (Azim Premji) के खिलाफ एक ही कारण पर कई याचिकाएं दायर करने के लिए आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया। यह मामला प्रेमजी के खिलाफ वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों से जुड़ा है। कर्नाटक हाई कोर्ट (Karnataka High Court) ने दो वकीलों को दो महीनों के लिए जेल भेज दिया है।
आर सुब्रमण्यम और पी सदानंद. इन दोनों ने NGO इंडिया अवेक फॉर ट्रांसपेरेंसी की तरफ से विप्रो (Wipro) के फाउंडर और चेयरमैन अज़ीम प्रेमजी (Azim Premji) के खिलाफ याचिका दायर की थी। NGO ने प्रेमजी के खिलाफ वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगाए थे, लेकिन इन दोनों वकीलों ने प्रेमजी के खिलाफ एक ही मामले को लेकर कई सारी याचिकाएं दायर कर दी थी. लिहाजा हाई कोर्ट ने इन दोनों वकीलों को आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया।
बता दें कि शुक्रवार को फैसला सुनाते हुए जस्टिस बी वीरप्पा और जस्टिस केएस हेमलेका की बेंच ने दोनों वकीलों को दो महीने के साधारण कारावास की सजा सुनाई। इसके अलावा अदालत की अवमानना अधिनियम की धारा 12 (1) के प्रावधानों के तहत 2,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया। इसके अलावा, अदालत ने अभियुक्तों को शिकायतकर्ताओं और उनकी कंपनियों के समूह के खिलाफ किसी भी अदालत या कानून के किसी प्राधिकरण के समक्ष कोई कानूनी कार्यवाही शुरू करने से भी रोक दिया. अदालत ने 23 दिसंबर को आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए थे. कोर्ट ने 7 जनवरी को दोनों पक्षों को सुनने के बाद याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।
विदित हो कि अदालत ने अपने 23 दिसंबर के आदेश में कहा था कि ‘आपने एक ही कारण से सभी रिट याचिकाओं को खारिज करने के बावजूद और अदालत के आदेशों द्वारा चेतावनी के बाद भी कई मामले दायर किए और कार्यवाही जारी रखी। आपने कानूनी कार्यवाही दायर करके न्यायिक प्रक्रिया का मजाक उड़ाया है। आपने न केवल बड़े पैमाने पर जनता के हितों को प्रभावित किया है बल्कि मंच का दुरुपयोग करके न्याय प्रशासन में भी हस्तक्षेप किया है। अलग-अलग अदालतें, न्यायिक समय बर्बाद कर रही हैं और कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग कर रही हैं। इस प्रकार अदालत की अवमानना अधिनियम, 1971 की धारा 2(सी) के प्रावधानों के तहत आपराधिक अवमानना की श्रेणी में आता है, जो इस अदालत के संज्ञान में उक्त अधिनियम की धारा 12 के तहत दंडनीय है।
बता दें कि हाई कोर्ट ने पिछले साल फरवरी में प्रेमजी और दूसरे के खिलाफ मामला दर्ज करने के चलते इंडिया अवेक फॉर ट्रांसपेरेंसी पर 10 लाख रुपए का जुर्माना लगाया था। यहां भी एक ही मामले को लेकर कई सारी याचिकाएं दर्ज की गई थी।