लखनऊ । उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Assembly Elections) के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में दलों के बीच सीटों की हिस्सेदारी को लेकर सहमति में निषाद पार्टी 13 सीटों पर (Nishad Party 13), जबकि अपना दल 10 से 14 सीटों पर (Apna Dal 10 to 14 seats) चुनाव लड़ेगी (Will Contest) । दिल्ली में हुई बैठक में विभिन्न दलों के लिए कितनी सीटें छोड़नी है और कितनी पर भारतीय जनता पार्टी अपने प्रत्याशी खड़ा करेगी, इसको लेकर गंभीरता से मंथन किया गया।
मीडिया की खबरों के मुताबिक निषाद पार्टी 13 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जबकि अपना दल 10 से 14 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। जिन सीटों पर निषाद पार्टी के उम्मीदवारों के खड़े होने की संभावना है, उनमें कुशीनगर, महाराजगंज, आजमगढ़, रामपुर, सुल्तानपुर, संत कबीर नगर, गोरखपुर और जौनपुर शामिल हैं। इसके अलावा रामपुर की सुआर सीट भी निषाद पार्टी के हिस्से में आएगी। इसी सीट से 2017 के विधानसभा चुनाव में आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम खान विधायक बने थे।
बृहस्पतिवार को पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में शुरू हुई। इस बैठक में उत्तर प्रदेश के लिए उम्मीदवारों के नामों पर विचार विमर्श किया गया। इसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय मंत्री व उत्तर प्रदेश के प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह सहित केंद्रीय चुनाव समिति के अन्य सदस्य शामिल हुए।
सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी डिजिटल माध्यम से इस बैठक से जुड़े। ज्ञात हो कि नड्डा, राजनाथ और गडकरी पिछले दिनों कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए थे। उल्लेखनीय है कि केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक से पहले, पिछले दो दिनों से भाजपा में बैठकों का दौर जारी है। अब तक हुई बैठकों के दौरान भाजपा की चर्चाओं के केंद्र में उत्तर प्रदेश रहा। इस दौरान पार्टी ने जहां अपने संभावित उम्मीदवारों के नामों पर चर्चा की वहीं अपने सहयोगियों को साधने की भी कोशिश की।
इस बीच उत्तर प्रदेश सरकार कई मंत्रियों और विधायकों के भारतीय जनता पार्टी का साथ छोड़ने और दूसरे दलों में जाने से हुए नुकसान को लेकर भी विचार विमर्श किया गया। इनमें सबसे अधिक और चर्चित नाम कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य का रहा।
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