- चोरी, नकबजनी और जालसाजी के प्रकरणों में पुलिस नहीं कटवा सकेगी मनमानी फरारी
भोपाल। नवागत डीसीपी जोन-3 रियाज इकबाल ने पदभार गृहण करने के तीसरे दिन सोमवार को अधिनस्तों की क्लास ली। उन्होंने साफ कहा की चोरी,नकबजनी और जालसाजी में अधूरे चालान पेश नहीं किए जाएंगे। ऐसे मामलों में तत्काल मुल्जिमों की गिरफ्तारी सुनिश्चित कर समय पर चालान पेश करें। किसी प्रकरण में कुछ आरोपियों की गिरफ्तारी हो जाए और कुछ फरार रह जाएं तो उनके खिलाफ फिक्र से धारा 82 और 83 कोर्ट से फरार घोषित कराकर (संपत्ति कुर्की) की कार्रवाई कराई जाए। पुराने ढर्रे पर काम हरगिज़ न करें। स्मार्ट पुलिसिंग का परिचय दें। डीसीपी ने यह भी साफ किया कि सीआरपीसी की धारा 173(8)और 299 में चालान कम से कम पेश करें। कोशिश रहे कि विवेचना पूरी और आरोपियों की गिरफ्तारी करने के बाद ही समय पर चालान पेश करें। जिससे कि पूरक चालान पेश करने की नौबत कम रहे।
- यह है 173(8)
173(8) सीआरपीसी के तहत पुलिस कोर्ट में सप्लीमेंटरी चालान पेश कर सकती है। मसलन पुलिस किसी भी मामले में, जिसमें आरोपियों की संख्या एक से अधिक है। … ऐसे में पुलिस गिरफ्तार आरोपियों के खिलाफ अदालत में चालान पेश कर देती है, जबकि शेष आरोपियों के खिलाफ 173 (8) सीआरपीसी में जांच पेंडिंग रख लेती है। - पूर्व दोषसिद्धि या दोषमुक्ति कैसे साबित की जाए
सीआरपीसी की धारा 299 के तहत यदि यह साबित कर दिया जाता है कि अभियुक्त व्यक्ति फ रार हो गया है। उसके तुरन्त गिरफ्तार किए जाने की कोई सम्भावना नहीं है। ऐसे में उस अपराध के लिए, जिसका परिवाद किया गया है, उस व्यक्ति का विचारण करने के लिए या विचारण के लिए सुपुर्द करने के लिए सक्षम] न्यायालय अभियोजन की ओर से पेश किए गए साक्षियों की (यदि कोई हो), उसकी अनुपस्थिति में परीक्षा कर सकता है। उनका अभिसाक्ष्य अभिलिखित कर सकता है और ऐसा कोई अभिसाक्ष्य उस व्यक्ति के गिरफ्तार होने पर, उस अपराध की जांच या विचारण में, जिसका उस पर आरोप है, उसके विरुद्ध साक्ष्य में दिया जा सकता है। यदि अभिसाक्षी मर गया है, या साक्ष्य देने के लिए असमर्थ है, या मिल नहीं सकता है या उसकी हाजिरी इतने बिलम्ब, व्यय या असुविधा के बिना, जितनी कि मामले की परिस्थितियों में अनुचित होगी, नहीं कराई जा सकती है।