नई दिल्ली। चीन(China) द्वारा शनिवार से अपना नया सीमा कानून(new border law) लागू करने से आने वाले समय में भारत(India) को उत्तरी सीमा पर और अधिक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। सूत्रों ने कहा कि अब से चीन(China) वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control) पर मौजूदा विवादित स्थानों को लेकर और अडि़यल रुख अपना सकता है। वह सीमा (border) पर और अधिक माडल गांवों को बसाने का काम कर सकता है। चीन (China) इन गांवों का उपयोग सैन्य और नागरिक दोनों उद्देश्यों के लिए करेगा।
उल्लेखनीय है चीन (China) ने 30 दिसंबर, 2021 एक भड़काऊ बयान देते हुए अपने नक्शे में अरुणाचल प्रदेश(Arunachal Pradesh) के 15 स्थानों के नाम बदल दिए थे। मेजर जनरल अशोक कुमार (सेवानिवृत्त) ने बताया कि नए भूमि सीमा कानून की आड़ में चीन द्वारा भारत और भूटान के साथ क्षेत्रीय सीमाओं को एकतरफा रूप से सीमांकित और सीमांकित करने का नवीनतम प्रयास है। यह बताते हुए कि इस कानून का भारत के लिए कितना बड़ा प्रभाव है, मेजर जनरल कुमार ने कहा कि इस तरह के कानून लाकर और भारत के साथ लगी सीमा पर और भारतीय सीमा के अंदर माडल गांवों के रूप में जाने वाले 624 ‘जियाओकोंग’ के त्वरित निर्माण के साथ, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) ने सीमा मुद्दे के सैन्यीकृत समाधान के लिए स्थितियां पैदा की हैं। यह एक तरह की हाइब्रिड अपरंपरागत युद्ध पद्धति है। इसे दूसरे देशों के संप्रभु क्षेत्र को अवैध नियंत्रण में लेने के लिए लागू किया जाता है। इस रणनीति से राष्ट्र निर्माण की कथित प्रक्रिया को एक कानूनी जामा मिल जाता है और इसका कोई विरोध भी नहीं कर पाता। उन्होंने कहा बीते साल 23 अक्टूबर को चीन के शीर्ष विधायी निकाय नेशनल पीपुल्स कांग्रेस की स्थायी समिति ने अपने सीमावर्ती क्षेत्रों के संरक्षण और शोषण का हवाला देते हुए एक नया कानून पारित किया था। समिति ने कहा था कि नया कानून पहली जनवरी से लागू होगा। वैसे यह यह कानून विशेष रूप से भारत की सीमा के लिए नहीं है। भारत सहित 14 देशों के साथ चीन अपनी 22,457 किलोमीटर की भूमि सीमा साझा करता है। मंगोलिया और रूस के बाद भारत के साथ उसकी सीमाएं सबसे लंबी हैं। नए सीमा कानून में 62 अनुच्छेद और सात अध्याय हैं। कानून के अनुसार, पीपुल्स रिपब्लिक आफ चाइना सीमा को स्पष्ट रूप से चिह्नित करने के लिए अपनी सभी जमीनी सीमाओं पर सीमा चिह्न स्थापित करेगा। ये चिह्न किस तरह के होंगे इस पर संबंधित पड़ोसी देश के साथ समझौता बातचीत का प्रविधान किया गया है। कानून में आगे कहा गया है कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) और चीनी पीपुल्स आर्म्ड पुलिस फोर्स सीमा पर सुरक्षा बनाए रखेंगे। इस जिम्मेदारी में अवैध रूप से सीमा पार करने से निपटने में स्थानीय अधिकारियों के साथ सहयोग करना शामिल है। कानून किसी भी पक्ष को सीमा क्षेत्र में किसी भी ऐसी गतिविधि में शामिल होने से रोकेगा जो राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालेगा या पड़ोसी देशों के साथ चीन के मैत्रीपूर्ण संबंधों को प्रभावित करेगा। इसमें संबंधित प्राधिकरण की अनुमति के बिना किसी भी व्यक्ति द्वारा किसी भी स्थायी भवन का निर्माण भी शामिल है। इसके अलावा यह कहा गया है कि नागरिकों और स्थानीय संगठनों के लिए सीमा के बुनियादी ढांचे की रक्षा करने, सीमाओं की सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखने में सरकारी एजेंसियों के साथ सहयोग करना अनिवार्य होगा। इसके अलावा सीमाई क्षेत्र में निवास करने वालों में चीन के प्रति राष्ट्रभक्ति की भावना विकसित करने, उसे मजबूती देने और देश की एकता और अखंडता के लिए शिक्षा और प्रचार के लिए अभियान चलाया जाएगा। इसके अलावा यहां के लोगों के लिए आवास बनाने, रोजगार के अवसर देने, आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाने और सीमाओं पर अन्य ढांचागत सुविधाएं भी शुरू की जाएंगी। दरअसल यह कानून चीन के सीमावर्ती क्षेत्रों में उसके नागरिकों को बड़े पैमाने पर बसाने की योजना को बढ़ावा देगा। उल्लेखनीय है चीन ने पूर्वी लद्दाख की सीमा से लगे अक्साई चिन में भारत के लगभग 38,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर अवैध रूप से कब्जा कर रखा है। पाकिस्तान ने 1963 में चीन को उसके द्वारा अवैध रूप से कब्जे वाले भारतीय क्षेत्र से लगभग 5,180 वर्ग किलोमीटर का कब्जा दे दिया था। भारत और चीन के बीच पिछले 20 महीनों से सैन्य गतिरोध कायम है।