भोपाल। विश्व संगीत समागम तानसेन समारोह (World Sangeet Samagra Tansen Festival) में बुधवार शाम की सभा भी खूब महकी। इस सभा में सुरों के मुख्तलिफ रंग देखने को मिले, एक तरफ विश्व संगीत की चपल धुनें तो दूसरी तरफ भारतीय संगीत की चैनदारी ने स्वरों का एक ऐसा कोलाज़ बनाया, जिसका हरेक रंग चटकीला था।
सभा का आगाज साधना संगीत कला केंद्र के विद्यार्थियों एवं शिक्षकों के ध्रुपद गायन से हुआ। स्मिता महाजनी एवं अनंत महाजनी के निर्देशन और मार्गदर्शन में विद्यार्थियों ने राग शुद्ध कल्याण में निबद्ध बंदिश पेश की। बोल थे-” रतन सिंघासन ता पर आसन”। इस प्रस्तुति में पखावज पर अविनाश महाजनी और तबले पर वसंत हरमरकर ने साथ दिया।
तानसेन समारोह में बुधवार की सायंकालीन सभा की पहली प्रस्तुति में रसिया से आईं एकातेरिना अरिस्तोवा एवं तातियाना शान्द्रकोवा ने विश्व संगीत की प्रस्तुति दी। दोनों ने तानसेन के मंच पर जैज़ शैली में कई सांगीतिक धुनें पेश की। एकाटोरिना पियानो पर थी, जबकि तातियाना डबल बास चेलो पर थीं। इस जोड़ी ने जैज़ के अलावा लोकप्रिय रसियन गीत और स्व रचित रचनाएं पेश की। दोनों का वादन खूब पसंद किया गया।
सभा की दूसरी प्रस्तुति में अहमदाबाद से आई डॉ मोनिका हितेन शाह का ख़याल गायन हुआ। गिरिजदेवी जी की शिष्या मोनिका जी ने राग शुद्ध कल्याण से गायन की शुरुआत की। संक्षिप्त आलाप से शुरु करके आपने इस राग में दो बन्दिशें पेश की। झूमरा में निबद्ध विलंबित बंदिश के बोल थे- “हे प्रीतम रूप दिखाय लुभाय” जबकि तीन ताल में मध्य लय की बंदिश के बोल थे-“नैना ललचाने”। दोनों ही बन्दिशों को आपने पूरे मनोयोग से पेश किया। गायन को आगे बढ़ाते हुए आपने मिश्र मांझ खमाज में बनारसी ठुमरी पेश की। बोल थे- “चोंक पड़ी मैँ तो पिया के जगाये”। इस ठुमरी को भी आपने बड़े रंजक अंदाज़ में पेश किया। गायन का समापन आपने झूले से किया जिसके बोल थे- झूला धीरे से झुलाओ बनबारी। मोनिका जी जिस सलीके से ख़याल गाती हैं उतनी ही नफासत से उप शास्त्रीय संगीत भी पेश करती हैं। आपके साथ तबले पर अंशुल प्रताप सिंह और हारमोनियम पर रचना शर्मा ने संगत की जबकि तानपुरे पर सिवानी भट्ट ने साथ दिया।
विश्व संगीत के अंतर्गत इजराइल से पधारे युसुफ रूह अलौश ने अपनी प्रस्तुति में पाश्चात्य वाद्य बजूकी पर अपना वादन प्रस्तुत किया।अनेको विश्व प्रसिद्ध रचनाओं को बजाकर आपने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। (एजेंसी, हि.स.)
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