भोपाल। शास्त्रीय संगीत (classical music) के अमर गायक तानसेन (Tansen, immortal singer) की याद में आयोजित सालाना महोत्सव “तानसेन समारोह” (Annual Festival “Tansen Festival”) में राग-मनीषियों ने जब अपने गायन-वादन से सुरीली राग-रागनियाँ छेड़ीं तो ऐसा अहसास हुआ कि सर्द मौसम ने सुरों से बनी गर्माहट की चादर ओढ़ ली। मंगलवार को सुबह से ही हो रही बारिश की वजह से बढ़ी सर्दी का अहसास सुधीय रसिकों के बीच से जाने को मजबूर हो गया।
विश्व समागम तानसेन समारोह के तीसरे दिन मंगलवार की सायंकालीन सभा में सिद्धेश्वर मंदिर ओंकारेश्वर की थीम पर बने भव्य एवं आकर्षक मंच से “नाद ब्रम्ह” के साधकों ने सुर सम्राट तानसेन को स्वरांजलि अर्पित की। शहर में सुबह से हो रही बारिश के बीच कलाकारों ने अपने संगीत से माहौल में गर्माहट ला दी।
ब्राजीलियन आध्यात्मिक संगीत से सुर सम्राट को स्वरांजलि …
तानसेन समारोह की पांचवीं सभा में ब्राजील के प्रतिष्ठित संगीत साधक मिस्टर पाब्लो ने अपने गायन-वादन से वही संदेश दिया, जो भारतीय शास्त्रीय संगीत में समाया है। वह आध्यात्मिक संदेश है प्रेम, शांति, मानव कल्याण और सुरों के माध्यम से ईश्वर से साक्षात्कार। पाब्लो ने अफ्रिकन-ब्राजीलियन पारंपरिक संगीत प्रस्तुत किया। उनकी प्रस्तुति में पश्चिमी बाँसुरी, गिटार व सिंथेसाइजर से निकली धुनों ने रसिकों पर जादू सा असर किया। पाब्लो ने रियो डी जेनेरो विश्वविद्यालय से संगीत में स्नातकोत्तर उपाधि हासिल की है। इसके बाद वाराणसी में हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत का अध्ययन भी किया है। इसीलिए उनके गायन-वादन में भारतीय शास्त्रीय संगीत की झलक भी साफ समझ आती है।
तानसेन संगीत महाविद्यालय के ध्रुपद गायन से शुरू हुई सांध्यकालीन सभा
इससे पहले तानसेन समारोह की पांचवीं एवं मंगलवार की सांध्यकालीन सभा की शुरुआत पारंपरिक ढंग से स्थानीय तानसेन संगीत महाविद्यालय के ध्रुपद गायन के साथ हुई। राग ” भोपाली’ में प्रस्तुत ध्रुपद रचना के बोल थे” केते दिन गए अलेखे”। पखावज पर जगत नारायण की संगत रही। (एजेंसी, हि.स.)
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