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7 में से तीन प्लांट अभी तक नहीं मिले महिला स्व सहायता समूहों को

December 27, 2021

  • 3 माह बाद भी पोषण आहार एमपी एग्रो के ही हाथ
  • एमपी एग्रो को हटाकर अब प्लांट सीईओ महिला एवं बाल विकास के बीच होना है एग्रीमेंट
  • पोषण आहार चार प्लांट में लें अब एग्रीमेंट में देरी से टेक होम राशन के आर्डर पर भी अटके

भोपाल। प्रदेश के सात प्लांट पोषण आहार संयंत्रों में से तीन मंडला, रीवा और सागर के प्लांट का संचालन एमपी एग्रो के ही पास है। इससे महिला स्व सहायता समूहों को पोषण आहार बनाने का काम पूरी तरह नहीं मिल पाया है। वर्तमान में एमपी एग्रो से ही आर्डर कराया जा रहा है। यदि एग्रीमेंट हो जाता है तो दिसंबर में आर्डर मिल जाएगा। इसकी सप्लाई फिर जनवरी में तमाम आंगनबाडिय़ों में की जा सकेगी। गौरतलब है कि होशंगाबाद (600 टन) को छोड़कर तमाम प्लांट 2500 टन उत्पादन क्षमता के हैं। हर माह तकरीबन 50 से 55 करोड़ रुपए का टीएचआर (पोषण आहार) आंगनबाडिय़ों में सप्लाई होता है।


गौरतलब है कि प्रदेश में 19 महीने बाद स्व सहायता समूह मजबूत हुए हैं लेकिन अभी भी पूरा काम नहीं मिला है। शिवराज सरकार के पिछले कार्यकाल में पोषण आहार बनाने का काम महिला स्व सहायता समूहों को सौंपा गया था, लेकिन कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने फरवरी 2020 में प्लांटों के संचालन का काम फिर से एमपी एग्रो को सौंप दिया। 16 सितंबर 2021 को शिवराज सरकार ने कैबिनेट के निर्णय के बाद इसे फिर स्व सहायता समूहों को सौंपा। मगर अभी भी पूरी तरह एमपी एग्रो से काम लेकर स्व सहायता समूहों को नहीं दिया गया है। बचे हुए तीन प्लांट को हैंडओवर करने में दो से तीन माह का वक्त लगने की संभावना बताई गई है।

विभागों के लेनदेन में उलझा हस्तांतरण
सूत्रों को कहना है कि विभागों के बीच लेनदेन के कारण पोषण आहार संयंत्रों का हस्तांतरण अटका हुआ है। राज्य आजीविका मिशन ने हाल ही में हुई अंतर विभागीय समिति की बैठक में पुरानी लेनदारी के तौर पर महिला एवं बाल विकास विभाग से 37 करोड़ रुपए मांगे हैं। जब प्लांट का संचालन राज्य आजीविका मिशन कर रहा था, तब सेंपल की जांच के नाम पर 15 प्रतिशत भुगतान यह कहकर रोक दिया गया था कि इसमें कमियां होंगी। लेकिन बाद में ऐसा नहीं निकला। एमपी एग्रो को जब प्लांट के संचालन का जिम्मा दिया गया तो उनकी राशि नहीं काटी गई। इसी का हवाला देकर 37 करोड़ रुपए की डिमांड की गई है। अधिकारिक सूत्रों का कहना है, कि महिला एवं बाल विकास विभाग में शासन स्तर यह एग्रीमेंट अभी पेंडिंग है। इधर, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अधीन आने वाले राज्य आजीविका मिशन की ओर से एग्रीमेंट का प्रारूप दस दिन पहले महिला एवं बाल विकास विभाग को भेजा जा चुका है, लेकिन उसकी ओर से इसे अंतिम रूप नहीं दिया गया। इसी कारण से अभी तक नया आर्डर एनआरएलएम के जरिए प्लांटों को नहीं मिला।

नया एग्रीमेंट भी अमल में नहीं आया
महिला स्व सहायता समूहों के फेडरेशन के पोषण आहार के सात प्लांट में से चार देवास, धार, होशंगाबाद और शिवपुरी के प्लांट पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अधीन आने वाले राज्य आजीविका मिशन (एसआरएलएम) को सौंप दिए गए हैं। जबकि मंडला, रीवा और सागर के प्लांट का संचालन अभी भी एमपी एग्रो के ही पास है। तीन महीने पहले कैबिनेट के फैसले के बाद प्लांट के हैंडओवर में देरी तो हो ही रही है, वहीं अभी तक नया एग्रीमेंट भी अमल में नहीं आया। एमपी एग्रो को हटाकर यह एग्रीमेंट सभी सात प्लांटों के सीईओ और महिला एवं बाल विकास विभाग के बीच होना है। इसी के बाद पोषण आहार बनाने का आर्डर मिलेगा।

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