नई दिल्ली। भारत में चीनी कंपनियों के खिलाफ बन रहे माहौल और सरकार के कड़े रुख का असर अब दिखाई देने लगा है। चीनी वाणिज्यिक समूहों का बयान सामने आया है, जिसमें कंपनियों ने भारत सरकार से आग्रह किया है कि वह चीनी कंपनियों के खिलाफ अनियमित जांचों को बंद करे और एक समान व्यापारिक व्यवहार अपनाए। कंपनियों का कहना है कि उन्होंने भारत में तीन अरब डॉलर से ज्यादा का निवेश किया है और पांच लाख से ज्यादा नौकरियों का सृजन किया है। इसके बावजूद उनके साथ सही व्यवहार नहीं किया जा रहा है।
उत्पादन व काम पर पड़ रहा असर
चाइनीज चैंबर ऑफ कॉमर्स और इंडिया चाइना मोबाइल फोन एंटरप्राइज एसोसिएशन की ओर से दिए गए बयान के मुताबिक, भारत में चीनी मोबाइल फोन कंपनियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है। भारत सरकार उन पर कई तरह के जुर्माने लगा रही है, साथ ही विभिन्न तरह की जांच भी कर रही है, जिससे उत्पादन पर असर पर पड़ा है।
कई मोबाइल कंपनियों के खिलाफ हो रही है कार्रवाई
चीनी वाणिज्यिक समूहों का यह बयान तब सामने आया है, जब आयकर विभाग की ओर से ओप्पो, शिओमी, वनप्लस जैसी चीनी मोबाइल कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की गई है। वाणिज्यिक समूहों द्वारा दिए गए बयान में कहा गया कि भारत में व्यापार आगे बढ़ाना मुश्किल हो रहा है, क्योंकि उन्हें अब यहां के अधिकारियों पर भरोसा नहीं रहा है। इसके साथ ही आर्थिक और व्यापार सहयोग पर भारत की पहल उनके अनुकूल नहीं है।
आंकड़ों के मुताबिक, चीनी वित्त पोषित मोबाइल कंपनियां भारत में 2015 से निवेश कर रही हैं। भारत में अब तक 200 से ज्यादा निर्माता व 500 से अधिक चीनी व्यापारिक कंपनियां स्थापित हो चुकी हैं। इनका कुल निवेश तीन बिलियन डॉलर से अधिक है।
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