मुंबई। इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा उत्तर प्रदेश चुनाव को टालने के अनुरोध के बाद से राजनीति तेज हो गई है। विपक्ष की कई पार्टियां इसका विरोध करने लगी हैं और इसे भाजपा को फायदा पहुंचाने वाला कदम बता रही हैं। इसी क्रम में शनिवार को शिवसेना के मुखपत्र सामना के एक संपादकीय में उत्तर प्रदेश चुनाव को टालने वाले अनुरोध का विरोध किया गया है। सामना में पीएम मोदी पर भी तंज कसा गया है। इस संपादकीय में कहा गया है कि पीएम मोदी खुद की सलाह पर अमल नहीं करते हैं।
राज्यों को चेतावनी देते हैं पीएम मोदी, लेकिन खुद अमल नहीं करते: शिवसेना
शिवसेना ने इस संपादकीय में उल्लेख किया है कि पीएम मोदी ने पहले तो यूपी में बड़े पैमाने पर भीड़-भाड़ वाली रैलियां कीं और फिर कोरोना स्थिति की समीक्षा करने के लिए दिल्ली पहुंच गए। फिर राज्यों को भीड़ से बचने की चेतावनी और सलाह दी लेकिन खुद इस बात पर अमल करना भूल जाते हैं। वहीं एनसीपी के बयानों का समर्थन करते हुए शिवसेना ने कहा कि कि भाजपा के फायदे के लिए कोरोना की आड़ में विधानसभा चुनाव स्थगित किए जा सकते हैं। यह भाजपा की बड़ी चाल हो सकती है।
राजनीति में न उतरे इलाहाबाद हाईकोर्ट: शिवसेना
वहीं इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा यूपी चुनाव टालने के अनुरोध पर भी शिवसेना ने नाराजगी जताई। शिवसेना ने कहा कि हाईकोर्ट कानून का पालन करे और राजनीति में न आए। दरअसल इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मोदी सरकार से अनुरोध करते हुए कहा था कि कोरोना महामारी के प्रसार पर रोक लगाने के लिए 2022 में होने वाले आगामी यूपी विधानसभा चुनाव को टाल दिया जाए।
शुक्रवार को एनसीपी नेताओं ने भी मोदी सरकार पर बोला था हमला
शुक्रवार को एनसीपी नेता नवाब मलिक और मजीद मेमन ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा था कि केंद्र उन पांच राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगा सकता है जहां चुनाव होने हैं। एनसीपी ने दावा किया कि यह केंद्र के लिए राष्ट्रपति शासन की आड़ में कांग्रेस द्वारा शासित पंजाब पर कब्जा करने का एक प्रयास होगा। हालांकि, एनसीपी ने केंद्र से डोर-टू-डोर अभियानों को सीमित करने और रैलियों पर प्रतिबंध लगाने का आग्रह किया।
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