भोपाल। विधानसभा में आज फिर ओबीसी आरक्षण को लेकर हंगामे हुआ। सदन की कार्रवाई शुरू होते ही विपक्ष ने ओबीसी आरक्षण मामले में सरकार के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। हंगामे के बीच स्पीर गिरीश गौतम ने सदन की कार्रवाई स्थगित कर दी। विपक्ष का आरोप है कि सरकार ओबीसी आरक्षण को खत्म करना चाहती है। यहां बता दे कि राज्य सरकार ने पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दायर की है।
क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल करने की तैयारी में ओबीसी संगठन
पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण को लेकर ओबीसी संगठनों ने रिव्यू पिटीशन दायर की हैं। मप्र शासन की ओर से भी रिकॉल आफ आर्डर की याचिका दाखिल की गई है। याचिका कर्ताओं की ओर से भी मोडिफिकेशन आफ आर्डर की याचिकाएं दाखिल हुई हैं। जो संगठन मूल याचिका में पक्षकार नहीं थे इन्होंने उक्त मूल प्रकरण में पक्षकार बनाए जाने के लिए अतिरिक्त आवेदन दाखिल किया है। याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर का कहना है कि यदि सुप्रीम कोर्ट उक्त रिव्यु पिटीशनों में अपना आदेश परिवर्र्तित नहीं करती है तो फिर क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल की जाएगी। जिसकी सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ द्वारा की जाएगी। ठाकुर ने बताया कि 1994 से त्रिस्तरीय निर्वाचनों में 1994-95 से आरक्षण लागू है तथा देश के अन्य कई राज्यो में भी ओबीसी को पंचायतों के त्रिस्तरीय आरक्षण प्रवर्तन में है । केवल मप्र की पंचायतों में सुप्रीम कोर्ट का 17 दिसंबर का आदेश रिकॉल करने योग्य है । 2011 के आकड़ो के अनुसार मध्य प्रदेश में ओबीसी की आवादी 51 फीसदी है। जिसे समुचित प्रतिनिधित्व देने का प्रावधान पंचायत अधिनियम में मौजूद है।
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