साढ़े 7 साल से इंदौर में पदस्थ विभागीय अफसर की मेहरबानी से कान्ह होती रही दूषित, ईटीपी प्लांट लगवाने में भी तगड़ी सेटिंग
इंदौर। जिस तरह वन विभाग (Forest Department) की मेहरबानी से अवैध कटाई (Illegal logging) धड़ल्ले से होती है, उसी तरह प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Pollution Control Board) में भ्रष्टाचार के चलते ही वायु (Air), ध्वनि (Noise) और जल प्रदूषण (Water Pollution) भुगतना पड़ता है। अभी कान्ह नदी (Kanh River) में मिलने वाले प्रदूषण को लेकर हल्ला मचा है। कलेक्टर (Collector) द्वारा आदेश जारी करने और कल उज्जैन (Ujjain) से साधु-संतों (Sadhus-Saints) का एक दल इंदौर आया, जिसने कान्ह नदी में होने वाले प्रदूषण की जानकारी ली। हालांकि संतों का दल निगम (Corporation) द्वारा उपचारित पानी को छोड़े जाने से संतुष्टि तो जताई, मगर क्षिप्रा (Kshipra) में आचमन योग्य पानी को छोड़े जाने पर आपत्ति भी ली। बाद में ताबड़तोड़ प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के जरिए 5 फैक्ट्रियों पर ताले डाले, मगर हकीकत यह है कि एक दर्जन ऐसी प्रदूषण फैलाने वाली फैक्ट्रियों को छोड़ दिया गया।
प्रदूषण बोर्ड (Pollution Board) सालों से भ्रष्टाचार के प्रदूषण का शिकार रहा है। सालों तक इंदौर (Indore) जैसे कमाऊ क्षेत्र में अफसरों की पदस्थापना रही है। वर्तमान में जो क्षेत्रीय प्रबंधक आरके गुप्ता हैं, उन्हें ही इंदौर में साढ़े 7 साल हो चुके हैं और देवास, उज्जैन (Ujjain) तक का प्रभार भी उनके अधीन ही है। जानकारों का कहना है कि एक विशेष फर्म से ईटीपी प्लांट लगवाया जाता है, जो कि 4 से 5 गुना महंगा पड़ता है। उदाहरण के लिए 5 लाख का प्लांट 20 से 25 लाख रुपए में लगता है और शेष राशि इंदौर (Indore) में बैठे अफसर से लेकर भोपाल में बैठे एक वरिष्ठ अफसर की जेब में जाती है, जो इंदौर में ही वर्षों तक पदस्थ भी रहे और इस फर्म के अघोषित पार्टनर भी बताए जाते हैं। कल जिन 5 फैक्ट्रियों पर कार्रवाई की गई उनमें से भी 4 की ही बिजली काटी, जबकि श्रीफल फैक्ट्री की बिजली नहीं कटी और एक दिन का प्रोडक्शन रूकवा दिया। कैम्को, आइकॉनिक, नैप्च्यून, आरजे फूड्स, एसजी फूड्स, श्री कृष्णा कन्फेशनरी, श्री प्रोडक्ट, आनंद फूड़्स सहित कुछ अन्य फैक्ट्रियों को विभागीय अफसर ने तगड़ी सेटिंग के चलते बचा भी लिया।
सिर्फ एक फैक्ट्री में लगा है डेढ़ लाख का मीटर
सांवेर रोड (Sanwer Road) और अन्य क्षेत्रों में जो फैक्ट्रियां चल रही हैं उन्हें कायदे से तो अपने दूषित पानी को उपचारित करने के बाद ही छोड़ा जाना चाहिए। इसके लिए ईटीपी प्लांट भी कम लगे हैं और दूषित पानी को उपचारित कर छोड़े जाने वाला जो एक-डेढ़ लाख रुपए का मीटर लगता है वह भी सिर्फ आशा कन्फेशनरी में ही लगा है। इसके संचालक दीपक दरियानी का कहना है कि उनकी फैक्ट्री की पूर्व में भी जांच हुई और प्रदूषण नहीं मिला।
चार फैक्ट्रियों की बिजली काटी, श्रीफल को बक्श दिया
जिला प्रशासन (District Administration) और प्रदूषण बोर्ड ने निगम की सहायता से सांवेर रोड (Sanwer Road) स्थित 5 फैक्ट्रियों पर कार्रवाई की, जिसमें जयश्री सालासर, जीआरवी बिस्किट, कुंदन इन्टरप्राइजेस और मेसर्स एस एंड श्रीफल कन्फेशनरी के नाम बताए गए, मगर इनमें से 4 फैक्ट्रियों के ही कनेक्शन काटे और श्रीफल को बक्श दिया। वहीं कलेक्टर मनीष सिंह का कहना है कि अन्य दूषित पानी छोडऩे वाली फैक्ट्रियों पर भी सख्ती से कार्रवाई की जाएगी।
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