नई दिल्ली। दुनिया भर में कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन (New Variants Omicron) के आंकड़ो में उतार चड़ाव देखने को मिल रहा हैं। इसके साथ ही भारत में भी ओमिक्रॉन से संक्रमित (infected) लोगों की संख्या डेढ़ सौ के पार पहुची चुकी है। चिंता की बात ये है कि शुरुआती रिसर्च (early research) में यह बात सामने आई हे की ज्यादातर वैक्सीन भी इसके खिलाफ असरदार नहीं है।
इसमे एक राहत की बात यह भी हे की वैक्सीन लेने वाले लोग ओमिक्रॉन के कहर से ज्यादातर गंभीर रूप से बीमार नहीं देखने को मिल रहे हैं। दुनिया के कई देशों में कोरान की मौजूदा वैक्सीन कितनी असरदार हे इसपर रिसर्च की जा रही हैं। रिसर्च की शुरुआती रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ ऐसे लोग ओमिक्रॉन के संक्रमण से बच रहे हैं जिन्होंने बूस्टर डोज़ में फाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीन ली है। लेकिन ये दोनों वैक्सीन अमेरिका के अलावा कुछ ही देशों में उपलब्ध है। एस्ट्राजेनेका , जॉनसन एंड जॉनसन और रूस की वैक्सीन भी ओमिक्रॉन के खिलाफ ज्यादा असरदार नहीं हैं। एसे में इस महामारी को रोकना इतना आसान नहीं है।
ये दो असरदार वैक्सीन
न्यूयॉर्क टाइम्स (New York Times) में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुशार अब तक के अधिकांश सबूत लैब प्रयोगों पर आधारित हैं, जो शरीर की इम्यूनिटी को पूरी तरह कवर नहीं करते हैं। फाइजर और मॉडर्न की वैक्सीन नई एमआरएनए (MRNA) तकनीक पर आधारित है। इन दोनों वैक्सीन ने अब तक लोगों को कोरोना के हर नए वेरिएंट से सुरक्षा दी है। अमेरिका और यूरोप (America and Europe) के साथ कुछ देशों में इसका प्रयोग किया गया है।
चीन (China) की दोनों वैक्सीन सिनोफार्म और सिनोवैक (Sinofarm and Sinovac) ओमिक्रॉन पर असरदार नहीं है। जबकि पूरी दुनिया में वैक्सीन की आधी डोज़ इन्हीं दो टीकों से लगे हैं। इसमें चीन और ज्यादातर निम्न और मध्यम आय वाले देश जैसे कि मेक्सिको और ब्राजील (Mexico and Brazil) शामिल हैं।
ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका (Oxford-AstraZeneca) यानि भारत की कविशिएल्ड वैक्सीन लेने के छह महीने बाद ओमिक्रॉन के संक्रमण से सुरक्षा प्रदान नहीं करती। भारत में नब्बे प्रतिशत वैक्सीन लेने वाले लोगों को कोविशील्ड ब्रांड नाम के तहत यहीं टिके लगे हैं। इसका व्यापक रूप से इस्तेमाल अफ्रीका (Africa) में भी किया गया है। जहां ग्लोबल कोविड वैक्सीन कार्यक्रम कोवैक्स ने 44 देशों को इसकी 67 मिलियन खुराक दी है।
रूस की स्पुतनिक वैक्सीन (Russia’s Sputnik Vaccine), जिसका उपयोग अफ्रीका और लैटिन अमेरिका (Africa and Latin America) में भी किया जा रहा है, इससे भी ओमाइक्रोन के खिलाफ सुरक्षा नहीं मिल रही। जॉनसन एंड जॉनसन वैक्सीन का भी यही हाल है।
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