भोपाल। मप्र में हो रहे पंचायत चुनाव के बीच सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण पर बड़ा फैसला दे दिया है। कोर्ट के अनुसार ओबीसी के लिए आरक्षित पदों को सामान्य घोषित करने के बाद ही चुनाव कराए जाएं। जबकि कांग्रेस एवं अन्य पदाधिकारी पंचायत चुनाव में आरक्षण प्रक्रिया में रोटेशन का पालन नहीं करने को लेकर कोर्ट गई थी, लेकिन रोटेशन एवं परिसीमन को लेकर कोर्ट का कोई फैसला नहीं आया है। जिसको लेकर अभी भी रोटेशन पर संशय की स्थिति बनी हुई है।
मंत्रालय में और आयोग में दौड़ी फाइलें
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तत्काल बाद मप्र सरकार और चुनाव आयोग हरकत में आए। मंत्रालय और चुनाव आयोग के कार्यालय में चुनाव से जुड़ी फाइलों को जैसे पंख लग गए। जो फाइलें महीनों तक आगे नहीं बढ़ती थी, वे दौडऩे लगी थी। आनन-फानन में संचालक पंचायत आलोक सिंह ने 18 दिसंबर जिला पंचायत अध्यक्ष के होने वाले आरक्षण को अनिश्चित काल के स्थगित कर दिया। साथ ही राज्य निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार देर शाम सभी कलेक्टरों को अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित पंच, सरपंच, जनपद सदस्य और जिला पंचायत सदस्यों के पदों निर्वाचन स्थगित करने का फरमान जारी कर दिया।
पंचायत के इन नेताओं ने लड़ी रोटेशन की लड़ाई
मप्र पंचायत चुनाव में रोटेशन का पालन नहीं करने को लेकर को भोपाल जिला पंचायत के पूर्व अध्यक्ष एवं भाजपा नेता मनमोहन नागर, नरसिंहपुर जिला पंचायत के पूर्व अध्यक्ष संदीप पटेल और रतलाम जिला पंचायत के पूर्व उपाध्यक्ष एवं त्रिस्तरीय पंचातय संगठन के प्रदेश संयोजक डीपी धाकड़ ने कोर्ट में याचिका लगाई थी। हाईकोर्ट से न्याय नहीं मिलने पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई। इनकी ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा ने पैरवी की थी। हालांकि याचिका कर्ताओं को अभी भी रोटेशन पर फैसले का इंतजार है।
आरक्षण पर आयोग ने बुलाई बैठक
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग से कहा कि कानून के दायरे में रहकर ही चुनाव करवाए। ओबीसी के लिए निर्धारित सीटों को सामान्य सीटों में तब्दील करने की अधिसूचना जारी करे, जबकि मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव में 13 फीसदी सीटें पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए रिजर्व की गई हैं। अब सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का पालन करने के लिए नए सिरे से आरक्षण प्रक्रिया करनी होगी। बता दें कि सीटों का आरक्षण संबंधित क्षेत्र की आबादी के हिसाब से होता है। इसे लेकर चुनाव आयोग ने शनिवार को बैठक बुलाई है।
ओबीसी का खत्म नहीं होगा आरक्षण
जानकारों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यह चर्चा शुरू हो गई है कि पंचायत चुनाव में ओबीसी को आरक्षण नहीं मिलेगा। जबकि ऐसा नहीं है। ओबीसी को आरक्षण मिलेगा। इसके लिए सरकार को नए सिरे से आरक्षण करना होगा।
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