उज्जैन। कालियादेह महल वर्षों तक सिंधिया परिवार के संपत्ति विवाद में उलझा रहा और अब यहाँ सुधार कार्य शुरु हुआ है। हालांकि इसे बड़ा स्वरूप दिया जाएगा ऐसा नहीं लगता। फिलहाल तो यहाँ वीराना ही है लेकिन एक बात पक्की है कि यदि यह महल और स्थान राजस्थान या फिर अन्य किसी स्टेट में होता तो वहाँ की सरकार इसे पर्यटन केन्द्र बनाकर हर साल लाखों रुपए कमाती लेकिन हमारे यहाँ तो चीजों को उजाड़ करने की परंपरा है..! कालियादेह महल में अवन्ति महात्म्य में लिखे अनुसार ब्रह्मकुंड और सूर्य नारायण का मंदिर है। कालियादेह नाम पीछे के क्षेत्र का है। इस स्थान के आसपास तथा कुछ मूर्तियां हैं, पत्थर पर जिस प्रकार की खुदाई का काम यत्र-तत्र दिखाई देता है, उससे इसके पौराणिक होने की सत्यता पता चलती है। दंत कहानियाँ हैं कि सुल्तान खिलजी को पारा खाने की आदत थी, इसलिए गर्मी शांत करने के उद्देश्य से शिप्रा की अगाध जल राशि के निकट तट पर जल-यंत्रों से परिपूर्ण इस स्थान पर उसने अपना महल बनवाया था। महल के सामने कई छोटे-छोटे कुंड बनवाए गए हैं लेकिन उक्त कालियादेह महल अब खंडहरों में बदल गया है और यह नदी में जो कुंड बने हुए हैं उन्हें आज 52 कुंड के नाम से जाना जाता है। अंग्रेजी राज में इसकी मरम्मत की गई और सन 1920 में ग्वालियर के सिंधिया नरेश ने इसका जीर्णोद्धार कराया और कोठी महल छोड़कर इसे ही शाही निवास बनाया था।
कालियादेह महल के पास रानी महल स्थित है जिसमें कई कमरे और बड़े-बड़े हाल बने हुए हैं। महल में नदी किनारे रानियों को नहाने का भव्य स्नान ग्रह बनाया हुआ है। मुख्य महल के पास बड़ी सी भोजनशाला बनी हुई है। महल के मुख्य हॉल में भगवान सूर्य देव का मंदिर है और जिसके नीचे तल घर बना हुआ है। महल के चारों ओर का हिस्सा शिप्रा नदी से लगा हुआ है जिसके चलते बरसात के दिनों में यहां बने बावन कुंड पानी से लबालब हो जाते हैं और यह क्षेत्र रमणीय हो जाता है। बावन कुंड के पास एक बड़ा गेस्ट हाउस बना हुआ है कहते हैं कि यह गेस्ट हाऊस अंग्रेजों ने बनवाया था और जिसमें अंग्रेजी सेना के सिपहसालार यहां रहते थे और सामने ही एक बड़ी घुड़साल बनी हुई है जिसमें घोड़ों का अस्तबल हुआ करता था। कालियादेह महल का पूरा क्षेत्र लगभग 180 बीघा में फैला हुआ है लेकिन अब यह खंडहर में तब्दील हो रहा है। कुछ महीनों पूर्व सिंधिया स्टेट ने पुराने कागजातों को खंगालते हुए पूरे इलाके का सीमांकन करवाया गया और कुछ समय के लिए यहां लगे मुख्य द्वारों को बंद करवा दिया गया था। कालियादेह के आसपास कई गांव लगे हैं जहां स्थानीय निवासी खेती करते हैं और उनके उज्जैन आने जाने के लिए यही मुख्य मार्ग वर्षों से चलता आ रहा है। मुख्य द्वार बंद करने की वजह से आसपास के ग्रामीण वासियों ने इसका विरोध किया और मामला ज्योतिरादित्य सिंधिया तक पहुंचा बाद में सिंधिया स्टेट की ओर से मुख्य द्वारों को खोल दिया गया एवं वर्तमान में महल और पूरे आसपास के क्षेत्रों का जीर्णोद्धार सिंधिया स्टेट द्वारा करवाया जा रहा है एवं पूरे क्षेत्र का सीमांकन करके पूरे क्षेत्र को दीवार बनाकर कवर कर लिया गया है। चर्चा यह भी है कि महल का जीर्णोद्धार करने के बाद सिंधिया स्टेट इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर सकता है और इसे देखने के लिए टिकट व्यवस्था भी की जा सकती है। कालियादेह महल के आसपास का पूरा क्षेत्र शिप्रा नदी से लगा हुआ है एवं बरसात के दिनों के बाद यहां पानी कम हो जाता है।
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