भोपाल। सरकार को रेत खदानों से बड़ा झटका लगा है। सबसे ज्यादा रेत, रॉयल्टी देने वाले होशंगाबाद और भोपाल जिला रेत समूह के ठेकेदारों ने खदानें सरेंडर कर दी हैं। इससे भोपाल, इंदौर सहित करीब 12 से ज्यादा जिलों में रेत का संकट बढऩे की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। पिछले दो वर्ष के अंदर होशंगाबाद रेत खदान समूह को दो ठेकेदार सरेंडर कर चुके हैं। खरगोन जिले के रेत खदान समूह के ठेकेदार का ठेका समर्पण प्रस्ताव सरकार ने वापस कर दिया है। खनिज साधन विभाग ने ठेकेदार से कहा है कि पहले पुरानी बकाया राशि और रॉयल्टी जमा करो, इसके बाद आगे की प्रक्रिया शुरू करेंगे। विभाग ने शिवपुरी, छतरपुर, रीवा, राजगढ़, रायसेन, धार, शाजापुर और आलीराजपुर जिले के रेत खदानों का ठेका आठ माह पहले ही सस्पेंड कर दिया है।
नहीं हुई नीलामी
सरकार ने रेत खदानों की नीलामी तहसील और ब्लॉक स्तर पर करने के लिए नीति तैयार कर ली है, लेकिन इन रेत खदानों की अभी तक नीलामी नहीं हुई है। अब भोपाल और होशंगाबाद रेत खदानें सरेंडर होने के बाद प्रदेश कई जिलों में रेत का संकट और अवैध उत्खनन का कारोबार बढ़ जाएगा। क्योंकि जब लोगों को सहज और सुलभ रेत नहीं मिलेगी तो इसकी ब्लैक मार्केटिंग और चोरी होने लगेगी।
ठेकेदारों ने कहा, रियल एस्टेट मार्केट मंदा
रेत खदानें सरेंडर करने वाले ठेकेदारों का कहना है कि रियल एस्टेट का काम मंदा हो गया है। इसके चलते रेत खदानों की किस्तें निकालना मुश्किल हो रहा है। पिछले वर्ष कोरोना और लॉक डाउन के चलते रेत नहीं बिकी थी। मालूम हो कि अकेले होशंगाबाद रेत ठेकेदार करीब तीन सौ करोड़ रुपए हर साल रॉयल्टी देता था।
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