लंदन। ब्रिटिश हाईकोर्ट(British High Court) ने मंगलवार को भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी (Fugitive diamond trader Nirav Modi)की भारत प्रत्यर्पण (Extradition) के खिलाफ अपील पर सुनवाई शुरू की। इस दौरान नीरव मोदी(Nirav Modi) के मानसिक स्वास्थ्य संबंधी दस्तावेजों का परीक्षण किया। दरअसल नीरव मोदी(Nirav Modi) ने मानसिक तनाव(mental stress) व मानवाधिकार आधारों पर राहत मांगी है। अब अदालत को फैसला लेना है कि उसे भारत भेजा जाए या नहीं।
ब्रिटिश हाईकोर्ट (British High Court) ने मंगलवार को भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी के वकीलों ने दलीलें दोहराईं कि अगर नीरव का प्रत्यर्पण भारत किया गया तो उसकी मानसिक स्थिति और बिगड़ जाएगी। इसलिए उनके प्रत्यर्पण पर रोक लगाई जाए। ब्रिटिश हाईकोर्ट ने नीरव मोदी के वकील को 20 दिसंबर तक भारत सरकार को प्रश्न प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
ब्रिटिश कोर्ट ने भारत सरकार के दावों पर संज्ञान लेते हुए इस मामले की तुलना विकीलीक्स संस्थापक जूलियन असांजे से करते हुए कहा, अमेरिका की ही तरह भारत सरकार के दावों में कोई खामी नहीं दिख रही। असांजे प्रत्यर्पण के खिलाफ अपना मुकदमा हार गए थे।
लॉर्ड जस्टिस जेरेमी स्टुअर्ट-स्मिथ और जस्टिस रॉबर्ट जे की अदालत में नीरव के वकीलों ने बताया कि अगर नीरव को भारत भेजा गया तो उसके खुदकुशी करने का खतरा बढ़ जाएगा। उन्होंने दलील दी कि नीरव गंभीर अवसाद से पीड़ित है और अगर उसे मुंबई की आर्थर रोड जेल में कैद किया जाता है तो उसे पर्याप्त चिकित्सा देखभाल नहीं मिलेगी। मार्च 2019 में लंदन में उनकी गिरफ्तारी और कोरोना महामारी के चलते जेलों पर लगे सख्त प्रतिबंधों के बाद दक्षिण लंदन के वैंड्सवर्थ जेल में उनकी मानसिक स्थिति और बिगड़ गई थी। सुनवाई के अंत में कोर्ट ने नए साल तक मामले की सुनवाई खत्म करने का टाइमटेबल तय कर दिया। इसके तहत नीरव के वकीलों को भारत के दावों पर उनके सवालों व आपत्तियों को दाखिल करने के लिए सोमवार तक का समय दिया गया है। इसके बाद भारत सरकार को अपने प्रतिनिधि क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस (सीपीएस) के जरिए नीरव मोदी के सवालों का जवाब 23 दिसंबर तक देना है। जिस पर नीरव के वकीलों को चार जनवरी 2022 तक अपना पक्ष रखना होगा। हाईकोर्ट इसके बाद अंतिम फैसला लेगा। सीबीआई और ईडी के दो वरिष्ठ अधिकारी कानूनी मामले में सीपीएस की सहायता करने और नीरव मोदी के आरोपों का मुकाबला करने के लिए मंगलवार को लंदन में थे। भारत की ओर से ईडी व सीबीआई का पक्ष रख रही सीपीएस ने स्पष्ट किया है कि भारत की सरकार इस बात का पूरा ख्याल रखेगी कि ऑर्थर रोड जेल में नीरव को किसी तरह की दिक्कत न हो। सीपीएस के माध्यम से भारतीय एजेंसियों ने पहले अदालत को बताया था कि अगर नीरव मोदी का प्रत्यर्पण किया जाता है तो चिकित्सा सहायता और चिकित्सा सुविधाएं 24 घंटे, सातों दिन उपलब्ध होंगी। किसी भी आपात स्थिति के लिए चार चिकित्सा अधिकारी, चार नर्सिग अर्दली और दो फार्मासिस्ट उपलब्ध रहेंगे। आर्थर रोड जेल में 20 बिस्तरों वाला एक जेल अस्पताल भी उपलब्ध है और आवश्यकता पड़ने पर बाहरी विशेषज्ञ आ सकते हैं। साथ ही, जेल के तीन किलोमीटर के भीतर एक सार्वजनिक अस्पताल भी है। भारत पहले अदालत को यह समझाने में सक्षम था कि अगर नीरव मोदी को भारत भेजा जाता है, तो उसे दिन में तीन बार अच्छा भोजन दिया जाएगा और जेल विशेष आहार संबंधी विचारों को समायोजित करने का प्रयास करेगा। कोर्ट की अनुमति से घर के खाने की इजाजत होगी। प्रसाधन सामग्री, मिनरल वाटर और स्नैक्स उपलब्ध कराने के लिए एक कैंटीन उपलब्ध है और मोदी को रोजाना केले की ताजा आपूर्ति की जाएगी।नीरव अगर हाईकोर्ट में अपील जीतता है तो भारत सरकार को प्रत्यर्पण के लिए ब्रिटिश सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की अनुमति लेनी होगी। उसे सिद्ध करना होगा कि सामाजिक महत्व वाले कानून के तहत नीरव का प्रत्यर्पण आवश्यक है। वहीं अगर नीरव हार जाता है तो उसे भी आदेश के 14 दिन के भीतर सार्वजनिक महत्व वाले कानून के तहत ब्रिटिश सुप्रीम कोर्ट का रुख करना होगा। वर्तमान में, नीरव मोदी भारत सरकार के अनुरोध पर मार्च 2019 से लंदन की जेल में बंद है।