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    संतों को मुख्यमंत्री से मुलाकात का आश्वासन… धरना स्थगित

  • December 14, 2021

    • सीएम से मुलाकात नहीं हुई तो फिर शुरु होगा आंदोलन-27 दिन बाद ज्ञानदास महाराज ने नारियल पानी पीकर खत्म किया अनशन

    उज्जैन। शिप्रा किनारे 4 दिन से शुद्धिकरण को लेकर धरने पर बैठे संतों को मंत्री और कलेक्टर ने धरना स्थल पर जाकर मुख्यमंत्री से मुलाकात का आश्वासन दिया। शिप्रा को कान्ह नदी और नालों से मुक्त कराने की प्लानिंग बताई। इसके बाद संतों ने धरने को यह कहकर स्थगित कर दिया कि अगर उनकी मुख्यमंत्री से मुलाकात नहीं कराई गई तो वे फिर धरने पर बैठ जाएँगे। उल्लेखनीय है कि पिछले 5 दिन पहले षट्दर्शन साधु समाज संगठन के बैनर तले साधु-संतों ने शिप्रा तट स्थित दत्त अखाड़ा घाट पर शिप्रा में मिल रही इंदौर की दूषित कान्ह नदी और नालों के पानी को तत्काल रोकने के लिए सरकार से माँग करते हुए धरना प्रदर्शन शुरु कर दिया था। इस आंदोलन में कई सामाजिक संगठन भी शामिल हो गए थे। संतों के लगातार 4 दिन चले आंदोलन का सत्ता पक्ष पर सोमवार को असर नजर आया। धरना दे रहे संतों से मिलने कल दोपहर बाद उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव और कलेक्टर आशीष सिंह पहुँचे। धरना मंच से मंत्री डॉ. यादव ने संतों से कहा कि शिप्रा शुद्धिकरण को लेकर उनकी मांग सही है।


    यही कारण है कि उन्होंने तथा मंत्री तुलसी सिलावट ने इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री से बात की है। उन्हें यह भी बताया गया कि संत उनसे शिप्रा शुद्धिकरण की ठोस योजना को लेकर चर्चा करना चाहते हैं। मुख्यमंत्री ने इसके लिए 31 दिसंबर तक का समय दिया है। इसके साथ ही मंत्री डॉ. यादव ने यह भी कहा कि यह बात सही है कि नर्मदा शिप्रा लिंक योजना के मुकाबले शिप्रा में कान्ह नदी का दूषित पानी अधिक मात्रा में मिलता है। इसे रोकने के लिए उज्जैन के साथ-साथ इंदौर और देवास जिला प्रशासन को भी मिलकर सामूहिक योजना बनानी पड़ेगी। उसके बाद ही इस समस्या का हल हो पाएगा और इस काम में समय लगेगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए अधिकारियों को पुख्ता प्लान बनाने के लिए कह दिया गया है। मुख्यमंत्रियों से संतों की मुलाकात के आश्वासन के बाद संतों ने धरना स्थगित कर दिया।

    पक्का स्टाप डेम भी समस्या का हल नहीं
    इससे पहले कलेक्टर आशीष सिंह ने भी संतों को समझाया कि कान्ह नदी का पानी शिप्रा में मिलने से रोकने के लिए जल्द ही त्रिवेणी क्षेत्र में पक्का स्टाप डेम बनाया जाएगा। परंतु यह भी इस समस्या का स्थायी हल नहीं होगा क्योंकि स्टाप डेम की ऊंचाई बढ़ा दी गई तो पीछे के क्षेत्र डूब में आ जाएँगे। पक्के स्टाप डेम बनने के बाद भी अगर कान्ह नदी का जलस्तर बढ़ता है तो डेम के गेट खोलने पड़ेंगे। पक्का स्टाप डेम भी सिर्फ दो या तीन दिन के लिए कान्ह नदी को शिप्रा में मिलने से रोक पाएगा। प्रयास किए जाएँगे कि इंदौर और देवास से कान्ह नदी के शुरुआती मुहाने पर ही ट्रीटमेंट प्लांट बनाकर फिल्टर पानी को आगे बढ़ाया जाए। इसके लिए इंदौर और देवास जिला प्रशासन से चर्चा की जा रही है।

    संतों ने कहा नहीं तो फिर होगा आंदोलन
    इधर मौके पर मौजूद मंत्री और कलेक्टर ने पिछले 27 दिनों से शिप्रा शुद्धिकरण के लिए अनशन कर रहे ज्ञानदास महाराज को नारियल पानी पिलाकर उनका अनशन तुड़वाया। संत ने कहा कि वे अपना अनशन समाप्त कर रहे हैं, परंतु इसके बाद भी वह अन्य ग्रहण नहीं करेंगे। जब तक मुख्यमंत्री से आमने सामने बात नहीं होती तब वे फलाहार ही लेंगे। षट्दर्शन साधु समाज के अध्यक्ष डॉ. रामेश्वरदास महाराज ने मंच से कहा कि मुख्यमंत्री के प्रतिनिधि के रूप में मंत्रीजी के आश्वासन के बाद आज संत आंदोलन को सिर्फ स्थगित कर रहे हैं। अगर निर्धारित अवधि में संतों की मुलाकात मुख्यमंत्री से नहीं हुई तो संत फिर से शिप्रा शुद्धिकरण के लिए यहाँ धरने पर बैठ जाएँगे।

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