- 2035 के मास्टर प्लान की कवायद… 450 आपत्तियों से हुआ खुलासा… अब मौका-मुआयना कर बना रहे हैं रिपोर्ट
इंदौर। 2021 का मास्टर प्लान (master plan) अभी 31 दिसम्बर को समाप्त हो जाएगा, जिसके चलते 2035 के प्लान की कवायद चल रही है। 79 गांवों को निवेश क्षेत्र (investment area) में शामिल किया जा रहा है, जिस पर 450 आपत्तियां पिछले दिनों आई। उनकी सुनवाई की प्रक्रिया भी नगर तथा ग्राम निवेश ने पूरी कर ली है और अब मौका-मुआयना करवाया जा रहा है, ताकि मैदानी स्थिति (field position) पता लग सके कि जमीन खाली है या निर्माण हो चुके हैं। इन 79 गांवों में कुल 38 हजार 105 हेक्टेयर यानी कि 95 हजार एकड़ से अधिक जमीनें शामिल है, जिनमें से विगत कुछ वर्षों के भीतर लगभग 30 हजार एकड़ जमीनों (lands) पर अभिन्यास मंजूर किए गए हैं। लिहाजा इन जमीन मालिकों ने भी मंजूर अभिन्यास के आधार पर आपत्तियां दर्ज करवाई है। वहीं अधिकांश खेती की जमीनों (lands) को आवासीय करने की मांग भी की जा रही है। हालांकि भू-उपयोग का निर्धारण यूडीपीएफआई मानकों के आधार पर किया जाएगा।
इंदौर (Indore) का मास्टर प्लान बनाना शासन के सामने सदेव चुनौतीपूर्ण रहा है, क्योंकि जमीनी जादूगरों के इस शहर में मास्टर प्लान में हमेशा बड़े खेल होते रहे हैं। इस बार का मास्टर प्लान तो और भी ज्यादा जटील रहेगा, क्योंकि मेट्रो, स्मार्ट सिटी (smart City) से लेकर एयरपोर्ट विस्तार सहित तमाम बड़े प्रोजेक्टों को भी शामिल करना पड़ेगा। वैसे तो इसी साल यह मास्टर प्लान समाप्त हो जाएगा, मगर 2035 का जो प्लान तैयार किया जा रहा है उसे अमल में आने में कम से कम 6 माह से लेकर सालभर तक का समय लग जाएगा। नगर तथा ग्राम निवेश ने नए मास्टर प्लान 2035 में शामिल किए जाने वाले 79 गांवों में मौजूदा भू-उपयोग को दर्शाने वाले नक्शों को तैयार कर दावे-आपत्तियां आमंत्रित की थी, ताकि वर्तमान भू-उपयोग दर्शाया जा सके। लगभग 450 से अधिक आपत्तियां आई, जिन पर पिछले दिनों सुनवाई भी की गई और अब अमले द्वारा मौका-मुआयना किया जा रहा है। नगर तथा ग्राम निवेश के संयुक्त संचालक एसके मुद्गल के मुताबिक मौके पर यह देखा जाएगा कि स्वीकृत अभिन्यास के मुताबिक निर्माण हुआ है अथवा जमीन खाली पड़ी है। अधिनियम 1973 की धारा 15 की उपधारा 1 के तहत मानचित्रों को तैयार किया गया और सुनवाई की प्रक्रिया के बाद अब मैदानी रिपोर्ट तैयार की जा रही है और जो कमियां हैं उन्हें दूर किया जाएगा। इधर नए निवेश क्षेत्र में जो 38 हजार 105 हेक्टेयर जमीन और शामिल की जा रही है, वहीं मास्टर प्लान में भी 50 हाजर हेक्टेयर से अधिक जमीनें शामिल थी। हालांकि निर्धारित भू-उपयोग के आधार पर इन जमीनों का पूरा इस्तेमाल नहीं हो पाया है। आवासीय, व्यवसायिक, ग्रीन बेल्ट, आमोद-प्रमोद, पीएसपी, औद्योगिक से लेकर शिक्षा, स्वास्थ्य व अन्य भू-उपयोग निर्धारित किए जाते हैं। अभी 38 हजार 105 हेक्टेयर यानी लगभग 95 हजार एकड़ से अधिक जमीनों को निवेश क्षेत्र में और शामिल किया जा रहा है। इनमें से लगभग 12 हजार हेक्टेयर यानी 30 हजार एकड़ जमीनों पर पिछले कुछ समय में अभिन्यास किए जा चुके हैं। केन्द्र सरकार ने यूडीपीएफआई के मानकों के आधार पर ही शहरों के मास्टर प्लान बनाने की जिम्मेदारी शासन को सौंपी है।