मुंबई। धर्म-जाति विवाद मामले में फंसे एनसीबी अधिकारी समीर वानखेड़े के लिए आज मुश्किल भरा दिन है। दरअसल आज उन्हें मुंबई जिला ‘जाति प्रमाणपत्र’ जांच समिति के समक्ष पेश होना है और खुद के खिलाफ लगे आरोपों का जवाब देना होगा। उन्हें अपने ‘जाति प्रमाणपत्र’ की सच्चाई बतानी होगी।
दरअसल, भीम आर्मी की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष अशोक कांबले की शिकायत के आधार पर आयोग ने पिछले महीने के अंत में अधिकारी को समन जारी किया था। कांबले ने आरोप लगाया था कि वानखेड़े ने सरकारी नौकरी के लिए ‘महार’ जाति प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए अपने बारे में गलत जानकारी दी है।
एक और दलित कार्यकर्ता ने की शिकायत
कांबले के अलावा दलित कार्यकर्ता मनोज संसारे भी मामले में एक अन्य शिकायतकर्ता के रूप में शामिल हुए हैं। उन दोनों द्वारा लगाए गए आरोपों के अनुसार, वानखेड़े जन्म से मुस्लिम हैं और उन्होंने शरिया के अनुसार शादी की और अधिकारी ने कथित तौर पर अपने पेशेवर लाभ को आगे बढ़ाने के लिए एक फर्जी प्रमाण पत्र प्राप्त किया।
वहीं दोनों शिकायतकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता नितिन सतपुते ने समिति के समक्ष दो दस्तावेज पेश किए- समीर वानखेड़े के जन्म प्रमाण पत्र की एक फोटोकॉपी और ग्रेटर मुंबई के कार्यकारी मजिस्ट्रेट द्वारा जारी उनके जाति प्रमाण पत्र की एक और फोटोकॉपी। इन दस्तावेजों के आधार पर, समिति ने जाति प्रमाण पत्र के मुद्दे की जांच शुरू करने का फैसला किया और वानखेड़े को 14 दिसंबर को दोपहर 3 बजे अगली सुनवाई के लिए बुलाया।
नवाब मलिक ने सबसे पहले लगाए थे आरोप
अक्तूबर में एक हाई-प्रोफाइल ड्रग्स-ऑन-क्रूज मामले में शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को गिरफ्तार करने वाले अधिकारी समीर वानखेड़े के खिलाफ धर्म-जाति विवाद का मामला सबसे पहले महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक ने उठाया था। जिनके दामाद समीर खान को भी एनसीबी अधिकारी के नेतृत्व वाली एक टीम ने गिरफ्तार किया था।
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