नई दिल्ली । देश-विदेश में इन दिनों कोरोना वायरस (Coronavirus) के ओमिक्रॉन वेरिएंट (Omicron) का खतरा बढ़ गया है. कई देशों में इसके नए मामले सामने आने के साथ ही भारत में भी इस वेरिएंट (Corona Variant) के अब तक 35 से अधिक केस दर्ज किए जा चुके हैं. इस बीच देश की शीर्ष तकनीकी संस्था नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन इम्युनाइजेशन (NTAGI) के विशेषज्ञों में प्रारंभिक रूप से सर्वसम्मति है कि कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज यानी तीसरी डोज पहली और दूसरी डोज की वैक्सीन से अलग वैक्सीन की होनी चाहिए.
वरिष्ठ सरकारी सूत्रों ने बताया है कि टीकाकरण नीति और कार्यक्रमों पर वैज्ञानिक सबूत की तकनीकी समीक्षा के बाद सरकार को टीकाकरण के लिए रास्ता दिखाने वाली शीर्ष संस्था एनटीएजीआई अभी भी बूस्टर की आवश्यकता का आकलन कर रही है. संस्था के अंदर सर्वसम्मति है कि तीसरी डोज या बूस्टर डोज में लगाई जाने वाली वैक्सीन पहली और दूसरी डोज के मेडिकल आधार से अलग हो. जैसे ये निष्क्रिय-वायरस या एडेनोवायरस वेक्टर वैक्सीन से अलग आधार की होनी चाहिए.
देश में बन रही भारत बायोटेक की कोवैक्सिन एक निष्क्रिय वायरस वैक्सीन है, जबकि सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड (ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका) वैक्सीन और रूस की स्पूतनिक वी एडेनोवायरस आधारित टीके है. एक वरिष्ट सरकारी अफसर का कहना है कि कुछ स्पष्टता है कि अगर किसी व्यक्ति को अतिरिक्त खुराक दी जाती है, तो कम से कम निष्क्रिय वायरस या एडेनोवायरस वेक्टर कोविड-19 टीकों के मामले में एक ही वैक्सीन नहीं हो सकती है. इसलिए प्रारंभिक सहमति यह है कि एक लाभार्थी कोविशील्ड या कोवैक्सिन की तीन खुराक नहीं ले सकता है.
सूत्रों ने कहा कि इसका मतलब यह भी है कि कोविशील्ड के साथ दोहरा टीकाकरण करने वाले व्यक्ति के लिए तीसरी खुराक कोवैक्सिन नहीं हो सकती है. ऐसा ही इसके उलट भी होगा. यही बात स्पूतनिक पर भी लागू होगी. कोविशील्ड और स्पूतनिक जैसे ‘वायरल वेक्टर’ टीके प्राप्तकर्ता की कोशिकाओं को निर्देश देने के लिए लक्षित किए जा रहे वायरस से अलग वायरस के संशोधित संस्करण का उपयोग करते हैं. कोरोना वायरस का परिवर्तन सुनिश्चित करता है कि यह फिर से दोहरा नहीं सकता है.
कोवैक्सिन में निष्क्रिय या मरे हुए वायरस का उपयोग किया जाता है. जो किसी को भी संक्रमित करने में असमर्थ है, लेकिन फिर भी प्रतिरक्षा प्रणाली को संक्रमण के खिलाफ एंटीबॉडी बनाने का निर्देश दे सकता है. हालांकि, सूत्रों ने रेखांकित किया कि एनटीएजीआई ने अभी तक सरकार को औपचारिक सिफारिश नहीं की है, क्योंकि यह अभी भी बूस्टर डोज लगाए जाने की संभावनाओं की जांच कर रही है.
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