मॉस्को: यूक्रेन (Ukraine) को लेकर अमेरिका और रूस (America & Russia) के बीच तनाव इस कदर बढ़ गया है कि मॉस्को ने परमाणु युद्ध की चेतावनी तक दे डाली है. रूस का कहना है कि अमेरिका की आक्रामक बयानबाजी और कार्रवाई उसे परमाणु युद्ध के लिए मजबूर कर रही है. बता दें कि इस समय यूक्रेन सीमा पर रूस के 1 लाख से अधिक सैनिक साथ तैनात हैं. यूक्रेनी सीमा पर रूसी सैनिकों के जमावड़े पर अमेरिका के नेतृत्व वाले नाटो ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) ने हाल ही में कहा था कि यदि रूस ने यूक्रेन पर हमला बोला तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे.
परमाणु हथियारों के मामले में दोनों बराबर
‘द सन’ की रिपोर्ट के अनुसार, रूस ने अमेरिका को क्यूबा वाली गलती न दोहराने की चेतावनी देते हुए कहा है कि वो मॉस्को को परमाणु युद्ध शुरू करने के लिए मजबूर कर रहा है. रूस के उप विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव (Sergei Ryabkov) ने कहा कि यूएस की हरकतों से 1962 का क्यूबा मिसाइल संकट (Cuban Missile Crisis) एक भयानक परमाणु युद्ध के साथ दोहरा सकता है. उन्होंने कहा कि अगर चीजें ऐसे ही जारी रहती हैं तो परमाणु युद्ध देखना संभव है. गौरतलब है कि दुनिया में परमाणु हथियारों के मामले में रूस और अमेरिका लगभग बराबर हैं. एक्सपर्ट्स का मानना है कि रूस के पास ऐसी हाइपरसोनिक मिसाइलों का जखीरा है, जिसे अमेरिकी एयर डिफेंस सिस्टम के लिए रोकना लगभग मुश्किल होगा.
लगातार बढ़ा रहा सैनिकों की तैनाती
काला सागर में जारी नौसैनिक तनाव के बीच रूसी सेना ने यूक्रेन से सटे वोरोनिश क्षेत्र में कई अत्याधुनिक हथियारों की तैनाती की है. सैटेलाइट इमेज से पता चला है कि इस इलाके में रूसी सेना के टैंक और बुक एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइल सिस्टम मौजूद हैं. पिछले हफ्ते एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि रूस ने यूक्रेन की सीमा पर अपने 175,000 जवानों को तैनात कर रखा है. अगले कुछ दिनों में ये संख्या और बढ़ने की आशंका है. ब्रिटिश सशस्त्र बलों के रक्षा स्टाफ के नए प्रमुख एडमिरल सर टोनी राडाकिन ने कहा कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध दूसरे विश्व युद्ध के बाद से यूरोप में सबसे बड़ी लड़ाई हो सकती है.
इस तरह शुरू हो सकती है World War
डिफेंस एक्सपर्ट्स मानते हैं कि यदि रूस यूक्रेन पर हमला बोलता है, तो फिर ये महज दो देशों की लड़ाई नहीं रह जाएगी. अमेरिका इस जंग में यूक्रेन का साथ देगा और इसी तरह अन्य देश भी अपने ‘दोस्त’ का साथ देने के लिए लड़ाई का हिस्सा बन सकते हैं. उस स्थिति में दुनिया को एक और विश्व युद्ध का सामना करना होगा. क्यूबा संकट की बात करें तो इसकी शुरुआत शीतयुद्ध के दौरान 1962 में हुई थी. इस दौरान रूस ने चोरी-छिपे अमेरिका के नजदीक स्थित क्यूबा में परमाणु हमला करने में सक्षम मिसाइलों को तैनात कर दिया था. रूस ने इसी की प्रतिक्रिया में क्यूबा में अपने मिसाइलों को भेजा था.
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