- उचित मूल्य की दुकानों को बहुद्देश्यीय दुकानों में परिवर्तित करने की तैयारी
- मप्र में 24 हजार दुकानों का संचालन करती हैं साढ़े चार हजार समितियां
- निविदा के माध्यम से एजेंसी का होगा चयन, अनिवार्य नहीं रहेगी व्यवस्था
भोपाल। मप्र में अब ग्रामीण उपभोक्ताओं को अपनी जरूरत की सामग्री लेने के लिए कस्बा या फिर शहर नहीं जाना होगा। उचित मूल्य की राशन दुकान पर सरकार अब सभी आवश्यक सामग्री उपलब्ध कराएगी, वह भी पांच प्रतिशत कम दर पर। इसके लिए सहकारिता विभाग सहकारी समितियों द्वारा संचालित दुकानों को बहुद्देश्यीय दुकानों में परिवर्तित करने जा रहा है। यहां दैनिक उपयोग की सभी सामग्रियों की आपूर्ति राज्य स्तर से की जाएगी। इसके लिए निविदा के माध्यम से एजेंसी का चयन होगा।
प्रदेश में चार करोड़ से अधिक उपभोक्ताओं को उचित मूल्य की दुकान से राशन लेते हैं। प्रदेश में चार हजार 548 सहकारी समितियों के द्वारा उचित मूल्य की दुकानों का संचालन किया जाता है। इनसे एक करोड़ 11 लाख परिवारों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के गेहूं, चावल और नमक का वितरण प्रतिमाह होता है। उपभोक्ताओं को दैनिक उपभोग की वस्तुओं के लिए ग्रामीण दुकान के भरोसे रहना होता है फिर साप्ताहिक बाजार, कस्बे या शहर की दुकानों तक जाना पड़ता है। आने-जाने में समय भी लगता है और राशि भी खर्च होती है। इसे देखते हुए सरकार ने ग्रामीणों को उचित मूल्य की राशन दुकानों पर ही दैनिक उपयोग की सामग्री उपलब्ध कराने के लिए दुकानों को इन्हें बहुद्देश्यीय दुकान में परिवर्तित करने का निर्णय लिया है। इसके तहत सहकारिता विभाग राशन दुकानों पर सामग्री उपलब्ध कराएगा। सामग्री की आपूर्ति के लिए निविदा आमंत्रित करके एजेंसी का चयन करने के निर्देश जारी किए जा चुके हैं। इस सप्ताह निविदा भी आमंत्रित कर ली जाएगी। जो आपूर्तिकर्ता दर में अधिक छूट देगा, उसका चयन किया जाएगा। अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) पर कम से कम पांच प्रतिशत की छूट उपभोक्ता को देनी होगी। दुकान संचालक को एक माह में सामग्री बेचकर भुगतान करना होगा। जो सामग्री नहीं बिकेगी, उसे वापस भी किया जा सकेगा। एक माह बाद यदि सामग्री वापस नहीं की जाती है तो उसका भुगतान समिति को करना होगा। अनिवार्य नहीं रहेगी व्यवस्था
संयुक्त पंजीयक अरविंद सिंह सेंगर ने बताया कि दुकानों पर उपभोक्ता सामग्री बेचना अनिवार्य नहीं रहेगा। समिति प्रबंधक तय करेंगे कि उनके यहां सामग्री बेची जानी है या नहीं। जो समिति चाहेगी, उसके यहां सामग्री की आपूर्ति चयनित एजेंसी करेगी। प्रतिबंधित वस्तुओं को बेचने की अनुमति नहीं रहेगी। बिक्री से होने वाले लाभ में से .25 प्रतिशत हिस्सा उपभोक्ता संघ को दिया जाएगा। इससे संस्थाओं की आर्थिक स्थिति तो सुधरेगी ही उपभोक्ताओं को भी फायदा होगा।