- कई सालों से डटे हैं अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक, हर मामले पर पर्दा डालने में माहिर
इंदौर। पिछले एक हफ्ते से इस बात को लेकर असमंजस (Confusion) चल रहा था कि तेंदुआ नेपानगर (Leopard Nepanagar) से इंदौर (Indore) लाया गया कि नहीं। कल इसका पटाक्षेप हो गया, जब तेंदुआ नवरतनबाग (Leopard Navratanbagh) में मिल गया। पिछले कई घटनाक्रमों में जू की घोर लापरवाहियां सामने आई हैं। व्हाइट टाइगर राजन की मौत से लेकर कई ऐसे मामले थे, जिनमें दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई। इसका मुख्य कारण यह है कि जू में कार्यरत कर्मचारियों (working staff) में न तबादले का भय है और न ही किसी पूछताछ का। वर्षों से जमे अधिकारियों के कारण इंदौर का चिडिय़ाघर (Zoo) लापरवाही का शिकार हो रहा है और जानवर तक त्रस्त हैं।
प्राणी संग्रहालय में 300 से ज्यादा वन्यप्राणी हैं। यहां सेंट्रल जू अथॉरिटी के नियम-कायदों की कई बार धज्जियां भी उड़ती रही हैं। इससे पहले भी वन विभाग (Forest department) और प्राणी संग्रहालय के अधिकारी उस समय आमने-सामने हुए थे, जब तत्कालीन अधिकारी अशोक राठौर के बंगले पर लगे कैमरे में तेंदुआ दिखा था और कई दिनों तक इसको लेकर विवाद की स्थितियां बनी रहीं। जू के नाले से मगरमच्छ के कुछ बच्चे बह जाने का मामला और रायपुर से लाए गए व्हाइट टाइगर राजन को ब्लैक कोबरा ने डंसकर मौत के घाट उतारने जैसे कई मामले रहे हैं, जिनमें अफसरों से लेकर कर्मचारियों तक पर कार्रवाई नहीं हुई। वहां प्रभारी अधिकरी डॉ. उत्तम यादव वर्षों से न केवल डटे हुए हैं, बल्कि उनके साथ कई ऐसे कर्मचारी भी हैं, जिनके तबादले ही नहीं हुए हैं। मूल रूप से वेटरनरी डिपार्टमेंट से जू में प्रतिनियुक्ति पर आए यादव का दो बार तबादला हुआ, लेकिन उन्होंने रुकवा लिया था। हाल ही में तेंदुए को नेपानगर से लाए जाने के बाद यादव यह कहते रहे कि तेंदुआ इंदौर लाया ही नहीं गया और रास्ते में वह जाली तोडक़र भाग गया होगा, लेकिन कल तेंदुए के पकड़े जाने पर अफसरों का झूठ सामने आ गया।