भोपाल। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) निर्वाचन आयोग ने शनिवार शाम बहुप्रतीक्षित पंचायत चुनाव (MP Panchayat Election) की तारीखों का ऐलान कर दिया। हालांकि चुनाव के ऐलान पर कांग्रेस ने हैरानी जाहिर की है। पार्टी के वरिष्ठ नेता विवेक तन्खा ने इस मामले को लेकर अदालत का दरवाजा खटखटाने की बात कही है। वहीं कमलनाथ ने आरोप लगाया है कि सरकार ही चुनाव नहीं कराना चाहती। बहरहाल इस पूरे घटनाक्रम को देखते हुए लग रहा है कि पंचायत चुनाव (Panchayat Chunav) का ऐलान भले ही हो गया है लेकिन अभी इसकी राह आसान नहीं दिख रही है।
कांग्रेस (Congress) के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने पंचायत चुनाव (Panchayat Election) की तारीखों के ऐलान पर आपत्ति जाहिर की है और इसे संवैधानिक प्रक्रिया के खिलाफ बता दिया है। विवेक तन्खा ने इस मुद्दे पर एक ट्वीट किया है, जिसमें उन्होंने लिखा है कि “मध्य प्रदेश में पंचायती राज के चुनाव की घोषणा विचित्र कानूनी परिस्थिति में। कॉन्स्टिट्यूशन प्रक्रिया और प्रावधान की पूर्ण अनदेखी कर प्रदेश सरकार द्वारा पारित अध्यादेश जनता के साथ धोखा। जनता का विश्वास कोर्ट के साथ। कानून द्वारा स्थापित राज का संदेश देना हम सब का दायित्व। ” ऐसी खबरें आ रही हैं कि कांग्रेस इस मुद्दे पर सोमवार को हाईकोर्ट में हस्तक्षेप याचिका दाखिल कर सकती है।सरकार ने बीते दिनों एक अध्यादेश जारी कर पंचायत चुनाव (MP Panchayat Election) पुराने परिसीमन और आरक्षण के आधार पर कराने का फैसला किया थाकई याचिका हालांकि रोटेशन प्रणाली का पालन नहीं होने के चलते इस फैसले के सरकार खिलाफ हाईकोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल की गई हैं। इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है। हालांकि इस बीच अचानक से पंचायत चुनाव का ऐलान हो जाने से कांग्रेस नेता हैरान हैं।
पंचायत चुनाव (MP Panchayat Election) के ऐलान के साथ ही इसे लेकर सियासत भी शुरू हो गई है। पूर्व सीएम कमलनाथ ने भी सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए हैं। कमलनाथ ने ट्वीट करते हुए लिखा कि हम तो पिछले काफी समय से यह मांग कर रहे हैं कि प्रदेश में जल्द नगरीय निकाय व पंचायत के चुनाव हो लेकिन लगता है कि सरकार इन चुनाव से डरी हुई है. वह चुनाव करवाना नहीं चाहती है, वह चुनाव से भाग रही है।कमलनाथ (Kamalanath) ने लिखा कि जब परिसीमन और आरक्षण को लेकर न्यायालय में विभिन्न याचिकाएं पहुंची हैं तो ऐसे में अचानक आधे-अधूरे में, जल्दबाजी में पंचायत चुनाव (MP Panchayat Election) की घोषणा समझ से परे है? ऐसा लगता है कि सरकार खुद चुनाव नहीं चाहती है, वो चाहती है कि भविष्य में चुनाव पर रोक लग जाए और वो कह सकें कि हम तो चुनाव कराना चाहते थे। पती नहीं क्यों वर्ष 2014 के आरक्षण के आधार पर वर्ष 2021-22 में चुनाव करवाए जा रहे हैं? रोटेशन पद्धति से आरक्षण प्रक्रिया के नियम का पालन क्यों नहीं किया जा रहा है? लोकतांत्रिक अधिकारों का दमन क्यों किया जा रहा है?
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