नई दिल्ली। मोक्षदा एकादशी (Mokshada Ekadashi ) पर भगवान श्री कृष्ण, महर्षि वेद व्यास और श्रीमद् भागवत गीता का पूजन (worship) किए जाने का विधान है। मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य के पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। उन्हें कर्मों के बंधन से मुक्ति मिलती है। इस व्रत को करने से मनुष्य के पापों का नाश होता है। इस बार मोक्षदा एकादशी 14 दिसंबर दिन मंगलवार (Tuesday) को मनाई जाएगी।
मोक्षदा एकादशी पूजा विधि (Mokshada Ekadashi 2021 Puja Vidhi)
1. मोक्षदा एकादशी व्रत से एक दिन पूर्व दशमी तिथि को दोपहर में एक बार भोजन करें। ध्यान रहे कि रात्रि में भोजन नहीं करना है।
2. एकादशी के दिन प्रात:काल उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
3. व्रत का संकल्प लेने के बाद धूप,दीप और नैवेद्य आदि अर्पित करते हुए भगवान श्री कृष्ण की पूजा करें।
4. रात्रि में भी पूजा और जागरण करना चाहिए।
5. एकादशी के अगले दिन द्वादशी को पूजन के बाद जरुरतमंद व्यक्ति को भोजन व दान से विशेष लाभ मिलता है।
मोक्षदा एकादशी तिथि, व्रत पारण मुहूर्त
मोक्षदा एकादशी तिथि 13 दिसंबर सोमवार की रात 09 बजकर 32 मिनट से शुरू हो रही है, जो अगले दिन 14 दिसंबर को रात 11 बजकर 35 मिनट तक रहेगी । उदयातिथि की वजह से मोक्षदा एकादशी का व्रत 14 दिसंबर दिन मंगलवार को रखा जाएगा। व्रत का पारण 15 दिसंबर को सुबह 07 बजकर 5 मिनट से सुबह 09 बजकर 09 मिनट के बीच कर लेना चाहिए।
मोक्षदा एकादशी की कथा
एक समय गोकुल नगर में वैखानस नामक राजा(Vaikhanas Raja) राज्य करता था। एक दिन राजा ने सपने में देखा कि उसके पिता नरक में दुख भोग रहे हैं और अपने पुत्र से उद्धार की याचना कर रहे हैं। अपने पिता की यह दशा देखकर राजा व्याकुल हो उठा। अगले दिन सुबह राजा ने ब्राह्मणों को बुलाकर अपने सपने का भेद पूछा। तब ब्राह्मणों ने कहा कि- हे राजन! इस संबंध में पर्वत नामक मुनि के आश्रम पर जाकर अपने पिता के उद्धार का उपाय पूछो। राजा ने ऐसा ही किया। जब पर्वत मुनि ने राजा की बात सुनी तो वे चिंतित हो गए। उन्होंने राजा से कहा कि पूर्वजन्मों के कर्मों की वजह से उनके पिता को नर्कवास प्राप्त हुआ है। अब तुम मोक्षदा एकादशी का व्रत करो और उसका फल अपने पिता को अर्पण करो, तो उनकी मुक्ति हो सकती है। राजा ने मुनि के कथनानुसार ही मोक्षदा एकादशी का व्रत किया और ब्राह्मणों को भोजन, दक्षिणा और वस्त्र आदि अर्पित कर आशीर्वाद प्राप्त किया। इसके बाद व्रत के प्रभाव से राजा के पिता को मोक्ष की प्राप्ति हुई।
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