प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने शरजील इमाम (Sharjeel Imam) को शनिवार को जमानत दी थी। उस मामले में विस्तृत आदेश अब आया है। इस आदेश में इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) ने देशद्रोह के एक मामले में शरजील को जमानत देते हुए कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में शरजील इमाम के भाषण ने न तो किसी को हथियार उठाने का आह्वान किया और न ही उसके भाषण से कोई हिंसा भड़की।
न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह ने शनिवार को इमाम को जमानत दे दी, जिन पर उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले के सिविल लाइंस पुलिस स्टेशन में आईपीसी की धारा 124 ए, 153 ए, 153 बी और 505 (2) के तहत मामला दर्ज किया गया था।
पहले सीएए-एनआरसी के विरोध में हुए प्रदर्शनों के दौरान भड़काऊ भाषण देने के आरोप में जेल में बंद जेएनयू छात्र शरजील इमाम की जमानत याचिका को अदालत ने खारिज कर दिया था। शरजील की जमानत याचिका की सुनवाई करते हुए दिल्ली की साकेत कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका रद्द कर दी थी।
सुनवाई में शरजील ने कहा था- वह कोई आतंकी नहीं हैं
देशद्रोह और अवैध गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत आरोपी जेएनयू छात्र शरजील इमाम ने कहा था कि वह कोई आतंकी नहीं है और उसके खिलाफ मुकदमा स्थापित कानून के अनुरूप नहीं, बल्कि किसी सम्राट के चाबुक की तरह है। यह तर्क शरजील ने मामले में जमानत देने और आरोपमुक्त किए जाने की मांग करते हुए रखा था।
जनवरी 2020 में किया था गिरफ्तार
दिल्ली पुलिस ने शरजील इमाम को सीएए-एनआरसी के विरोध के दौरान कथित भड़काऊ भाषण देने के आरोप में जनवरी 2020 में गिरफ्तार किया था। उसके खिलाफ आरोपपत्र दाखिल हो चुका है। आरोप है कि उसने 2019 में अपने भाषणों में कथित रूप से असम और पूर्वोत्तर के अन्य हिस्सों को देश से अलग करने की धमकी दी थी। ये कथित भाषण उसने जामिया में 13 दिसंबर 2019 और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में 16 दिसंबर 2019 को दिए थे। वह जनवरी 2020 से न्यायिक हिरासत में है।
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