पिपल्याकुमार की 4 लाख स्क्वेयर फीट जमीन पर मयूरी पार्क का निर्माण, सम्पत्तिकर का खुलवाया खाता निगम ने किया लॉक
इन्दौर। कड़ी कार्रवाई के बावजूद जमीनी जादूगर बाज नहीं आते। बीते कई वर्षों से पिपल्याकुमार तालाब और उससे लगी सरकारी जमीन पर भूमाफियाओं की नजर है, जिस पर पिछले दिनों से मयूरी पार्क नामक कालोनी विकसित होने लगी। निगम के कालोनी सेल ने कोई अनुमति नहीं दी, मगर पिछले दिनों गुपचुप राजस्व अधिकारियों से सांठगांठ कर इस जमीन का सम्पत्ति कर खाता खुलवा लिया। खसरा नम्बर 137/1 की 3 लाख 92 हजार 237 स्क्वेयर फीट जमीन का खाता झूठा शपथ-पत्र देकर खुलवा लिया और 10 लाख रुपए की राशि जमा भी कर दी। निगमायुक्त के संज्ञान में जैसे ही यह घपला आया उन्होंने कालोनी की जांच शुरू करवाने के साथ सम्पत्ति कर का खाता तो लॉक करवाया ही, वहीं 10 लाख रुपए की राशि भी राजसात कर ली। अब जमीन के डवलपर और पार्टनरों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। 165 भूखंडों की इस कालोनी में 6 हजार रुपए स्क्वेयर फीट से अधिक कीमत पर कई भूखंड बेच भी दिए हैं।
अग्निबाण ने वर्षों पहले पिपल्याकुमार तालाब की 7 एकड़ से अधिक सरकारी जमीन बचाई थी, उसमें भी चम्पू, चिराग, धवन बंधुओं से लेकर कई जादूगरों ने खेल किया था और तत्कालीन तहसीलदार मनोरमा कोष्टी से तालाब की जमीन निजी नाम करवाने के साथ नामांतरण भी करवा लिया, मगर मामला उजागर होने के बाद से ही यह प्रकरण कोर्ट-कचहरी में चल रहा है। सर्वे नम्बर 136 की तो पूरी जमीन तालाब की है, वहीं इससे लगी हुई सर्वे नम्बर 137/1 की 3 लाख 92 हजार 237 स्क्वेयर फीट जमीन भी सरकारी होने और कोर्ट में प्रकरण विचाराधीन होने के बावजूद पिछले दिनों मारूति डवलपर्स तर्फे पार्टनर मनीष पिता बृजभान वर्मा और राजेन्द्र सिंह पिता राम सिंह, जिनका पता कस्तूरबा नगर भोपाल का बताया गया है ने 13.09.2021 को झूठा शपथ-पत्र देकर सम्पत्ति कर का खाता खुलवा लिया। इस विवादित और सरकारी जमीन का सम्पत्ति कर खाता वैसे तो खुलना ही नहीं था और खसरे की जमीन का भी अगर खाता खुलता है तो उसके लिए जमीन का डायवर्शन होना अनिवार्य है। मगर इस मामले में ना तो जमीन का डायवर्शन हुआ, सिर्फ 2010 की एक रजिस्ट्री के आधार पर ये खाता खोल दिया, जबकि नियम मुताबिक 2013 से खाता खोला जाना था। झोन क्र. 8 द्वारा खोले गए सम्पत्ति कर के इस खाते में 80 से लेकर 1 करोड़ रुपए तक का सम्पत्ति कर जमा होना था, जो 10 लाख ही करवाया गया, लेकिन यह राशि भी निगमायुक्त श्रीमती प्रतिभा पाल ने राजसात करवा दी है और बकायदा निगम के राजस्व विभाग ने इसकी जाहिर सूचना भी प्रकाशित करवाई, जिसमें झोन क्र. 8 के वार्ड 36 में आने वाली खसरा नं. 137/1 पिपल्याकुमार की इस जमीन का सम्पत्ति कर का खाता लॉक कर राशि राजसात करने की जानकारी दी गई। निगम की झोनल अधिकारी परागी गोयल ने भी इसकी पुष्टि की। वहीं कालोनी सेल का कहना है कि मयूरी पार्क को किसी भी तरह की विकास अनुमति नहीं दी है। यहां तक कि कोई आवेदन भी अभी तक निगम को नहीं मिला है। जबकि मौके पर बाउण्ड्रीवॉल के साथ कालोनी का विकास कार्य भी शुरू हो गया और 165 भूखंड इस कालोनी में विकसित किए जा रहे हैं, जो कि 30 बाय 40 और 50 बाय 40 आकार के हैं।
प्राधिकरण को भी होश नहीं… उसकी जमीन भी कालोनी में की शामिल
पिपल्याकुमार तालाब और उसके पास योजना क्र. 94 की कुछ जमीनें इंदौर विकास प्राधिकरण की है, मगर उसे होश नहीं और जमीनी जादूगरों ने अपने प्रोजेक्टों में प्राधिकरण की जमीनें भी शामिल कर ली। द एड्रेस की जांच में भी यह खुलासा हुआ था और अभी मयूरी पार्क के मामले में भी पता चला कि इसमें भी कुछ जमीन प्राधिकरण की भी है, मगर प्राधिकरण को अपनी बेशकीमती जमीनों का ही होश नहीं है।
झंवर से चम्पू ने भी ली थी पॉवर ऑफ अटार्नी
पिपल्याकुमार तालाब और उससे लगी जमीनों पर सालों से भूमाफियाओं की नजरें रही है। वहीं चौकसे से लेकर रामस्वरूप झंवर के नाम पर भी यह जमीन रही और जेल में बंद रहे चम्पू अजमेरा ने भी इस जमीन की पॉवर ऑफ अटार्नी झंवर से ली थी और कुछ वर्ष पूर्व कालोनी काटने की योजना भी बनाई, उसके बाद कुछ नए लोग इस जमीन से जुड़े और पिछले दिनों सम्पत्ति कर का खाता खुलवाकर मौके पर विकास कार्य शुरू किए। निगम का कहना है कि यह अवैध कालोनाइजेशन है।
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