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    सर्वे में खुलासा: हिमाचल में घटा बेटियों का लिंगानुपात, पांच साल में प्रति एक हजार लड़कों पर 1078 से 1040 हुईं लड़कियां

  • November 29, 2021

    शिमला। हिमाचल प्रदेश में प्रति एक हजार पुरुषों पर महिलाओं की संख्या फिर से घटना शुरू हो गई है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-5 (एनएफएचएस) के ताजा सर्वे में यह बात सामने आई है। सर्वे के अनुसार प्रदेश में पिछले पांच सालों में प्रति हजार पुरुषों पर लड़कियों की संख्या 38 कम हो गई है। 2015-16 में हुए सर्वे में बेटियों की संख्या 1078 थी जबकि 2019-20 में 1040 बेटियां दर्ज की गई हैं।

    साथ ही पिछले पांच साल में पैदा हुए बच्चों के लिंगानुपात में भी अंतर दर्ज किया गया है। प्रति हजार किशोरों की तुलना 2019-20 में 875 बेटियों का जन्म हुआ, जबकि 2015-16 में यह आंकड़ा 937 था। 6-59 महीने के बच्चों और 15 से 19 साल की बेटियों में एनीमिया की समस्या में भी इजाफा हुआ है।

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    स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से जारी इस सर्वे रिपोर्ट के सामने आने के बाद हिमाचल प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग में बेटियों के घटते औसत पर मंथन शुरू हो गया है। सचिव स्वास्थ्य अमिताभ अवस्थी ने बताया कि रिपोर्ट का अध्ययन कर कारणों का पता लगाया जा रहा है और उसके अनुसार भविष्य की रणनीति पर काम करने के उद्देश्य से ही अगले हफ्ते नीति आयोग के सदस्यों के साथ बैठक भी प्रस्तावित है। इस बैठक में लिंगानुपात के अलावा अन्य सामाजिक विषयों पर भी चर्चा की जाएगी।

    लिंगानुपात शहरों से बेहतर गांवों में
    रिपोर्ट के अनुसार गांवों में लिंगानुपात शहरों की तुलना में काफी बेहतर है। प्रति हजार बेटों पर जहां शहरी क्षेत्रों में 936 बेटियां हैं, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति हजार बेटों पर बेटियों की संख्या 1057 दर्ज की गई है। हालांकि, पिछले पांच साल में पैदा होने वाले बच्चों में प्रति हजार बालकों के अनुपात में शहरी और ग्रामीण इलाकों में पैदा होने वाली बेटियों की संख्या में ज्यादा अंतर नहीं है। शहरों में प्रति हजार बेटों पर 843 बेटियां और ग्रामीण इलाकों में 880 बेटियां पैदा हुई हैं।

    महिलाओं में दस साल से ज्यादा स्कूलिंग बढ़ी
    सर्वे में यह बात भी सामने आई है कि दस या उससे ज्यादा साल स्कूलिंग करने वाली महिलाओं की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। 2015-16 में जहां 59.4 फीसदी महिलाएं ही दस साल से ज्यादा स्कूल गई थीं, जबकि 2019-20 में यह आंकड़ा बढ़कर 65.9 फीसदी रहा है।

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