img-fluid

किसानों के ही हितों की चिंता? उद्योगों की चिंता कौन करेगा?

November 27, 2021

-अशोक मधुप

आज देश के सामने किसान हित की बात सबसे आगे है। किसान आंदोलन के बाद से सब किसान की बात कर रहे हैं। उद्योग और उद्योगपति की समस्याओं पर किसी का ध्यान नहीं है। आज देश की सबसे बड़ी जरूरत विकास की है। विकास किसान ही नहीं लाता। उद्योगपति भी लाता है। उसकी भी समस्याएं हैं। उसकी भी परेशानी हैं। समय की मांग है कि अकेले किसान ही नहीं देश के उद्योगपति से बारे में सोचा जाए। किसान के जब न्यूनतम समर्थन मूल्य की बात हो रही है तो उद्योगपति को भी गांरटी दी जाए कि उसके सामने आने वाली समस्याओं को प्राथमिकता पर दूर किया जाएगा। उसके बने सामान का न्यूनतम मूल्य मिलेगा, अगर वह उस पर न बिके तो सरकार खरीदेगी।

एक जमाना था उत्तर प्रदेश में उद्योग लगाते व्यापारी डरता था। उसे अपहरण या रंगदारी मांगने का सदा खतरा रहता था। आज ये माहौल पंजाब में है। वहां उद्योगों के गेट के सामने धरने दिए जा रहे हैं। उद्योगों से माल की आपूर्ति बंद है। वहां व्यापारी परेशान है। कई साल पहले ममता बनर्जी ने टाटा नैनो के बंगाल में लगने वाले कारखाने का विरोध किया था। रियायंस के नोएडा में बनने वाले बिजलीघर की भूमि पर पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह ने भी ट्रैक्टर चलाया था। झारखंड और हरियाणा ने विधानसभा में कानून पास किया है कि स्थानीय व्यक्तियों को प्रदेश के उद्योग और विकास कर्य में 75 प्रतिशत आरक्षण दिया जाए। 30 हजार रुपये तक के वेतन वाले 75 प्रतिशत रोजगार स्थानीय युवकों को दिये जाएं। ऐसे कानून बनाना प्रदेश के राजनेताओं द्वारा विकास के रास्ते को अवरुद्ध करना है। टाटा की नैनो बंगाल में नहीं गुजरात में बनी। आज बंगाल में उद्योग लगाते हुए बिजनेसमैन डरता है।

बिजनेसमैन उद्योग का ढांचा जब खड़ा करता है, तो उसके पास उद्योग की जरूरत के हिसाब से पूंजी नहीं होती। वह उसके लिए ऋण लेता है। अपनी चल संपत्ति बैंक को गिरवी रखता है। ऐसे में बिजनेस में घाटा आ जाए तो वह व्यापारी बरबाद हो जाता है। धंधेबाज और राजनैतिक पहुंच वाले व्यापारी बच निकलते हैं। सीधे और ईमानदार व्यापरी बर्बाद हो जाते हैं। किसान की उपज की न्यूनतम दर तय करते हुए व्यापारी के उत्पाद और उसे भी उसका न्यूनतम मूल्य देने के बारे में भी विचार करना होगा।

उत्तर प्रदेश के किसानों का सबसे बड़ा मुद्दा समय पर उनके गन्ना मूल्य का भुगतान न होना है। किसान संगठन और सरकार का दबाव रहता है कि चीनी मिल समय पर गन्ना मूल्य भुगतान करें। चीनी मिल को समय से सब्सीडी का भुगतान हो यह कोई नहीं कहता। चीनी मिल द्वारा बिजली बनाकर उत्तर प्रदेश बिजली बोर्ड को दी जाती है। बिजली बोर्ड समय से चीनी मिलों का बिजली मूल्य बकाया दे, इस पर किसी का ध्यान नहीं। किसान को समय से गन्ना मूल्य भुगतान न करने पर कोर्ट ने 14 दिन बाद से ब्याज देने के आदेश कर दिए। चीनी मिल या बिजली बनाने वाले अन्य उद्योग पर भी तो ये ही शर्त लागू हो। उन्हें भी तो बिजली की आपूर्ति के 14 दिन बाद भुगातन न होने पर सूद मिलना चाहिए।

पिछली अखिलेश यादव सरकार ने चीनी मिलों से बिजली बनाने को कहा था। चीनी मिलों से अनुबंध किया था। बिजली की दर निर्धारित की गई थी। योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री बनते ही ये दर कम कर दी। ऐसे में उद्योगपति कैसे विश्वास करे? हालत यह है कि ट्रेड टैक्स अधिकारी इनसे प्रतिमाह बंधी रकम लेते हैं, तो एक्साइज विभाग भी यही करता है। सरकार ईमानदार है किंतु अधिकारी जी भर कर लूट रहे हैं। इस लूट पर रोक कैसे लगे, इस पर भी मंथन होना चाहिए।

दूसरे व्यवसायी को अधिकार हो कि उसे औसत नहीं आ रहा तो वह उद्योग बंद करे। रेट व्यापारी और कच्चे माल के व्यापारी के बीच तय होता है। दूसरी ओर गन्ने का रेट सरकार तय करती है। चीनी मिल वाले कहते हैं कि उन्हें घाटा है तो मिल को सरकार बंद नहीं करने देती है, न किसान। मिल जिस प्रजाति के गन्ने को बोने के लिए मना करता है। किसान वही प्रजाति बोता है। न लेने पर मिल स्टाफ से मारपीट होती है। किसान से साफ गन्ना लाने को कहा जाता है। पर वह गन्ने की पत्ती नहीं निकालता। उससे मिट्टी नहीं हटाता। मना करने पर मारपीट होती है। ऐसे ही एक मामले में बिजनौर जनपद की एक चीनी मिल के जीएम से किसान मारपीट कर चुके हैं। एक चीनी मिल के जीएम को गोली मारी जा चुकी है। ऐसी हालत में सोचना होगा कि उद्योग कैसे चलें?

मुलायम सिंह पहली बार मुख्यमंत्री बने। उस समय उद्योगपति प्रदेश में उद्योग लगाते डरता था। उन्होंने उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए कुछ छूट देने की घोषणा की। इसके बाद मायावती मुख्यमंत्री बनीं। उन्होंने छूट खत्म कर दी। नए लगे उद्योग बीमार हो गए। मुलायम सिंह दुबारा मुख्यमंत्री बने पर अपनी पहली सरकार वाली छूट उद्योगों को बहाल नही की। सर्वोच्च न्यायालय ने प्रदेश सरकार के इस आदेश को गलत बताया। छूट की राशि देने के आदेश दिए। पर आज तक भुगतान नहीं हुआ। ऐसे में सरकार पर उद्योगपति कैसे विश्वास करे? उद्योग नीति बनाते समय घोषणा हो कि ये नीति दस साल या बीस साल लागू रहेगी। कोई बदलाव नहीं होगा।

किसान को बिजली सस्ती दर पर दी जा रही है। उसके बिजली के बिल माफ किए जाते हैं, क्या किसान ही उत्पादक है, उद्योगपति नहीं? उद्योगपति से तो बिजली का और ज्यादा महंगा रेट लिया जाता है। उसके भी तो बिजली के बिल माफ होने चाहिए। प्रदेश सरकार समय−समय पर किसान के ऋण माफ करती है। कर्ज में डूबे उद्योगों के साथ ऐसा क्यों नहीं होता?

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

Share:

64वीं राष्ट्रीय रायफल शूटिंगः मप्र की मानसी पहले दिन दो वर्गों में पहले स्थान पर

Sat Nov 27 , 2021
भोपाल। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की राजधानी भोपाल (Bhopal) में खेली जा रही 64वीं राष्ट्रीय रायफल शूटिंग चैम्पियनशिप-2021 (64th National Rifle Shooting Championship-2021) में शुक्रवार को खेले गए दो इवेंट में मप्र राज्य शूटिंग अकादमी की मानसी सुधीर सिंह कठैत (Mansi Sudhir Singh Kathait) ने शीर्ष स्थान हासिल किया है। 64वीं राष्ट्रीय रायफल शूटिंग चैम्पियनशिप-2021 […]
सम्बंधित ख़बरें
खरी-खरी
सोमवार का राशिफल
मनोरंजन
अभी-अभी
Archives

©2024 Agnibaan , All Rights Reserved