भोपाल। प्रदेश की नौकरशाही में हमेशा क्षेत्रवाद और भेदभाव देखा जाता है। इस कारण प्रदेश के अफसर प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली जाने की कोशिश में लगे रहते हैं। आईएएस अफसरों की लगातार कोशिश रहती है कि वे केंद्र के मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभालें। लेकिन अब आईपीएस अधिकारी भी आईएएस की राह पर चल रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि अब वरिष्ठ तो ठीक कनिष्ठ अफसर तक केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर जाने को लालायित रहने लगे हैं। सामान्य तौर पर सीनियर अफसर ही प्रतिनियुक्ति पर जाना पसंद करते हैं, इसकी वजह होती है उन्हें राज्य की तुलना में बेहतर ओहदा मिलना। इसके उलट आईपीएस अफसरों की केंद्र में जाने की आंकड़ा सामान्य तौर पर बेहद ही कम रहता है।
एसपी स्तर के अफसरों की संख्या में तेजी से वृद्वि
मप्र में 2008 बैच तक के अफसर डीआईजी बन चुके हैं। इनके बाद के अफसर अभी एसपी रैंक में हैं। इनमें से 2016 बैच तक के आईपीएस अफसर बतौर एसपी के पद पर पदस्थ हैं। इनमें उन आईपीएस अफसरों की संख्या भी बहुत है, जो राज्य पुलिस सेवा के कैडर से आईपीएस बने हैं। हालात यह हैं कि जिलों में एसपी और कमांडेंट के अलावा तकरीबन दो दर्जन एसपी स्तर के अफसर वर्तमान में पुलिस मुख्यालय में बतौर एआईजी के पद पर पदस्थ हैं। इसके अलावा करीब डेढ़ दर्जन आईपीएस ऐसे हैं, जिन्हें अब तक पुलिस कप्तान बनने का मौका नही मिला है। इसके अलावा इस साल जल्द ही राज्य पुलिस सेवा के 11 अफसर नए आईपीएस बनने वाले हैं, जबकि डीआईजी बनने वाले अफसरों की संख्या कम है। इसकी वजह से एसपी स्तर के अफसरों की संख्या में तेजी से वृद्वि हो जाएगी। इसकी वजह से उनकी जिलों में की जाने वाली पदस्थापना में दिक्कत आना तय है। माना जा रहा है कि इसी वजह से मेहनती और बिना जुगाड़ वाले अफसर केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर जाने की राह को चुन रहे हैं।
पदोन्नति के बाद लौटे कई अफसर
मप्र में ऐसे कई आईपीएस अफसर हैं, जो मप्र कैडर में शुुरुआती दिनों में एसपी रेंक मिलने के बाद केन्द्र पर प्रतिनियुक्ति पर चले गए थे। इसके बाद वे मप्र में तब लौटे जब वो उच्च पद पर पदोन्नत हो चुके। दरअसल प्रदेश में उन अफसरों को ही मैदानी स्तर पर अच्छी पदस्थापना मिलती है, जिनका या तो राजैनितक रसूख होता है या फिर प्रशासनिक पकड़। इस मामले में ऐसे भी कई उदाहरण हैं, जो राज्य पुलिस सेवा से आईपीएस मिलने के बाद भी किसी भी जिले में कप्तान नहीं बनाए गए और वे बगैर कप्तान बने ही सेवानिवृत हो गए हैं।
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