भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रदेश के भोपाल एवं इंदौर शहर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने का ऐलान करके दक्षिण भारत के राज्यों की यात्रा पर चले गए। इधर पीएचक्यू, गृह विभाग एवं सीएम सचिवालय घोषणा पर जल्द से जल्द अमल करने के लिए सक्रिय हो गया। पिछले तीन दिन से मंत्रालय में पुलिस एवं गृह विभाग के अफसरों के बीच बैठकों का दौर जारी है। इस बीच राज्य प्रशासनिक संघ इस फैसले के विरोध में उतर आया है। हालांकि मंत्रालय के आईएएस अफसरों ने पुलिस कमिश्नर प्रणाली पर मुंह नहीं खोला है। सरकार के मंत्री भी पुलिस कमिश्नर प्रणाली को लेकर एकमत नहीं है। गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने इसी महीने लागू करने की बात कही है। वहीं नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने कहा है कि यदि परिणाम अच्छे नहीं तो फिर वापस भी ले सकते हैं।
गृह विभाग ने पुलिस कमिश्नर प्रणाली का फाइनल ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। पुलिस कमिश्नर के अधिकारों और उनके प्रभाव के साथ डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट (डीएम यानि कलेक्टर) के अधिकारों को स्पष्ट करके प्रारूप को तकरीबन फाइनल कर दिया। जिसे आज मुख्यमंत्री के सामने पेश किया जाएगा। सरकार चाहे तो अगली कैबिनेट बैठक के बाद कमिश्नर प्रणाली को तत्काल लागू कर सकती है। इस बीच गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने साफ कर दिया कि भोपाल-इंदौर में पुलिस कमिश्नर सिस्टम नवंबर के अंत तक लागू कर दिया जाएगा। विधि विभाग और वित्त की अनुमति का इंतजार है। गृहमंत्री ने यह भी बताया कि इस सिस्टम में दोनों बड़े शहरों के तमाम थाने आएंगे। इसके अतिरिक्त ऐसे ग्रामीण थाने जिनमें आधा शहर और आधा हिस्सा ग्रामीण क्षेत्रों का आता है, वे थाने भी पुलिस कमिश्नर सिस्टम के अंतर्गत ही आएंगे।
विरोध में राज्य प्रशासनिक सेवा एसोसिएशन
राज्य प्रशासनिक सेवा एसोसिएशन ने पुलिस कमिश्नर सिस्टम का विरोध कर दिया है। महासचिव मल्लिका निगम नागर ने कहा कि वर्तमान में ऐसी कोई स्थिति नहीं है कि पुलिस और प्रशासन में तालमेल में कोई कमी हो। एनएसए, जिलाबदर या इस तरह के अन्य मामले बातचीत से सुलझाए जाते हैं। अगर कानून व्यवस्था में कोई अड़चन होती तो बात अलग थी।
एक पक्षीय निर्णय न्यायसंगत नहीं
मप्र राजस्व अधिकारी संघ ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर पुलिस कमिश्नर प्रणाली के एक पक्षीय लागू करने पर विरोध जताया है। प्रांताध्यक्ष नरेंद्र सिंह ठाकुर ने कहा कि इस प्रणाली के लागू होने का सीधा असर आम जनता पर पड़ेगा। आम जनता से जुड़ा यह फैसला होने के कारण अंतिम फैसला लिए जाने के पहले मंत्रिमंडल समूह, सचिव स्तरीय समूह, अधिवक्ता परिषद, जनप्रतिनिधियों तथा नागरिकों से विमर्श जरूरी है।
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