– प्रदान किए जाएंगे 2013 से 2020 तक के कालिदास अलंकरण
ग्वालियर। भारतीय शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में देश का सर्वाधिक प्रतिष्ठित महोत्सव “तानसेन समारोह” संगीत की नगरी ग्वालियर में इस साल 25 से 29 दिसम्बर तक आयोजित होगा। यह सालाना समारोह भारतीय संगीत की अनादि परंपरा के श्रेष्ठ कला मनीषी संगीत सम्राट तानसेन को श्रद्धांजलि व स्वरांजलि देने के लिये पिछले 96 साल से आयोजित हो रहा है। इस साल के तानसेन समारोह में वर्ष 2013 से 2020 तक के कालिदास अलंकरण भी मूर्धन्य कलाकारों को प्रदान किए जाएंगे।
तानसेन समारोह की तैयारियों के सिलसिले में बुधवार को कमिश्नर आशीष सक्सेना की अध्यक्षता में स्थानीय समिति की बैठक हुई। इस दौरान कमिश्नर ने तानसेन समारोह से अधिकाधिक संगीत रसिकों को जोड़ने के लिये देश की राजधानी सहित अन्य बड़े शहरों में समारोह की तिथियों के बारे में व्यापक प्रचार-प्रसार करने के निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिए। साथ ही समिति के सदस्यों से इसमें सहयोग करने का आग्रह किया।
कमिश्नर सक्सेना ने कहा कि यू-ट्यूब सहित सोशल मीडिया के अन्य माध्यमों से भी देश व दुनियाभर में व्यापक प्रचार-प्रसार करें, जिससे संगीत रसिक इस महोत्सव का आनंद ले सकें। साथ ही ग्वालियर के पर्यटन को बढ़ावा मिले। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि तानसेन समारोह की सभी व्यवस्थाएं उच्च कोटि एवं समारोह की गरिमा के अनुरूप हों। उन्होंने कहा कि हर बुधवार को स्थानीय समिति की बैठक के जरिए समारोह के लिये की जा रहीं तैयारियों की समीक्षा की जाएगी। उन्होंने तानसेन समारोह की सभाओं में स्थानीय संगीत महाविद्यालय व अन्य महाविद्यालयों के विद्यार्थियों की अधिकाधिक भागीदारी पर भी बल दिया।
सक्सेना ने समारोह की तिथियों में कार्यक्रम स्थलों से तीन किलोमीटर की परिधि में कोलाहल नियंत्रण आदेश सहित साफ-सफाई व अन्य व्यवस्थायें, अंदर व बाहर सुरक्षा व्यवस्था के संबंध में संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए । साथ ही कहा कि तानसेन समारोह के प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से महाराज बाड़ा स्थित टाउन हॉल और अन्य जगहों पर कार्यक्रम आयोजित किए जाएं।
कुल नौ संगीत सभाएं होंगी
संगीत अकादमी के उप निदेशक राहुल रस्तोगी ने बताया कि तानसेन समारोह का शुभारंभ पारंपरिक ढंग से 26 दिसम्बर को प्रात:काल तानसेन समाधि स्थल पर हरिकथा, मिलाद, शहनाई वादन व चादरपोशी के साथ होगा। 26 दिसम्बर को सायंकाल छह बजे तानसेन अलंकरण समारोह और पहली संगीत सभा आयोजित होगी। इस बार के समारोह में कुल नौ संगीत सभाएं होंगी। पहली 7 संगीत सभाएं सुर सम्राट तानसेन की समाधि एवं मोहम्मद गौस के मकबरा परिसर में भव्य एवं आकर्षक मंच पर सजेंगीं।
समारोह की आठवीं सभा 29 दिसम्बर को सुर सम्राट तानसेन की जन्मस्थली बेहट में झिलमिल नदी के किनारे और नौवीं एवं आखिरी संक्षिप्त संगीत संभा ग्वालियर किले पर आयोजित होगी। प्रात:कालीन सभा हर दिन प्रात: 10 बजे और सांध्यकालीन सभा सायंकाल छह बजे शुरू होंगीं।
गूजरी महल में भी गूँजेंगी स्वर लहरियाँ
तानसेन समारोह की पूर्व संध्या यानि 25 दिसम्बर को हजीरा चौराहे के समीप स्थित इंटक मैदान में उप शास्त्रीय संगीत का कार्यक्रम “पूर्वरंग” गमक होगा। इस साल के तानसेन संगीत समारोह की अंतिम संगीत सभा किला परिसर में होगी। यह सभा शास्त्रीय संगीत के महान पोषक राजा मानसिंह तोमर की प्रेयसी मृगनयनी के नाम से बने गूजरी महल परिसर में सजेगी। तानसेन समारोह के दौरान वादी-संवादी कार्यक्रम भी होगा।
ये मूर्धन्य कलाकार सम्मानित होंगे कालिदास अलंकरण से
इस बार के तानसेन समारोह में कालिदास अलंकरण से मूर्धन्य कलाकारों को विभूषित किया जाएगा। समारोह में 26 दिसम्बर की सांध्यकालीन सभा में सुविख्यात सितार वादक पं. कार्तिक कुमार को वर्ष 2013 एवं सुप्रसिद्ध घटम वादक पं. विक्कू विनायकम को वर्ष 2014 के कालिदास अलंकरण से अलंकृत किया जाएगा। इसी तरह 27 दिसम्बर की सायंकालीन सभा में कर्नाटक संगीत की सुविख्यात गायिका अरुणा साईंराम को वर्ष 2015 और हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत की सुविख्यात गायिका अश्विनी भिड़े देशपाण्डे को वर्ष 2016 के कालिदास अलंकरण से विभूषित किया जाएगा।
तानसेन समारोह में 28 दिसम्बर की सायंकाल आयोजित होने वाली सभा में सुविख्यात शास्त्रीय गायक पं. व्यंकटेश कुमार वर्ष 2017 और ख्यातिनाम तबला वादक पं. सुरेश तलवलकर वर्ष 2018 के कालिदान अलंकरण से विभूषित होंगे। इसी तरह 29 दिसम्बर की सांध्यकालीन सभा में सुविख्यात ध्रुपद गायक पं. अभय नारायण मलिक को वर्ष 2019 और अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त संतूर वादक पं. भजन सोपोरी को वर्ष 2020 के कालिदास अलंकरण से विभूषित किया जायेगा। (एजेंसी, हि.स.)
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