नई दिल्ली। 2019 आम चुनाव के दौरान सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक के लिए स्वैच्छिक आचार संहित से संबंधित दस्तावेज सामने आने के बाद चुनाव आयोग ने दो टूक कहा है कि मौजूदा नियमों में सोशल मीडिया कंपनियों को कोई भी ढील नहीं मिलेगी। उन्हें चुनाव के दौरान आचार संहिता से जुड़े सभी नियमों को पालन करना ही होगा।
आयोग का यह बयान तब सामने आया है, जब एक दिन पहले फेसबुक के आंतरिक दस्तावेजों के माध्यम से खुलासा हुआ था कि फेसबुक ने चुनाव आयोग को स्वैच्छिक आचार संहिता के लिए राजी कर लिया था। आयोग की ओर से कहा गया है कि उमेश सिन्हा की अध्यक्षता में सोशल मीडिया के लिए नियामक ढांचा खड़ा करने के लिए बनाई गई समिति में सोशल मीडया कंपनियां न तो सदस्य थीं और न ही उन्हें हस्ताक्षर करने का कोई अधिकार था।
अधिकारियों का कहना है कि समिति में नियमों से जुड़े सभी महत्वपूर्ण लोग शामिल थे। समिति की ओर से जो सिफारिशें जारी की गई थीं, उनका एक सेट भी तैयार किया गया था। इसके तहत कुछ दिशानिर्देश दिए गए थे और धारा 126 का उल्लंघन करने वाले पोस्टों को तुरंत हटाने के निर्देश भी दिए गए थे। अधिकारियों का कहना है कि धारा 126 के तहत मतदान से 48 घंटे पहले किसी भी प्रकार के चुनाव प्रचार पर रोक लगा दी जाती है।
स्वैच्छिक आचार संहिता से सहमत थीं सभी सोशल मीडिया कंपनियां
आयोग का कहना है कि स्वैच्छिक आचार संहिता पर सहमत होने वालों और हस्ताक्षर करने वालों में सिर्फ फेसबुक अकेला नहीं था। अन्य सभी सोशल मीडिया कंपनियां- ट्विटर, गूगल, यू-ट्यूब, शेयरचैट, व इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया के प्रतिनिधि भी इसमें शामिल थे। बयान में कहा गया है कि स्वैच्छिक आचार संहिता सिर्फ मतदान से 48 घंटे पहले के लिए नहीं थी। यह संहिता पूरी चुनावी प्रक्रिया के लिए बनाई गई थी। 2019 के बाद जो भी चुनाव हुए हैं, सभी में इस तरह की संहिता लागू की जाती है।
एजेंसियों को कार्रवाई से नहीं रोका गया
चुनाव आयोग की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि किसी भी सोशल मीडिया कंपनी द्वारा धारा 126 या आचार संहिता का उल्लंघन करने पर उसने कानूनी एजेंसियों को कार्रवाई से नहीं रोका। इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि स्वैच्छिक आचार संहिता सिर्फ एक अतिरिक्त संहिता थी, जिससे उल्लंघन करने वाली पोस्ट के खिलाफ कार्रवाई की जा सके।
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