सेल्फ असेसमेंट कर बिल्डर खुद कम्पाउंडिंग शुल्क
जमा कराएं… फिर निगम नपती कर त्रास देगा
30 प्रतिशत तक के अवैध निर्माणों को वैध करने के नियम के बाद खजाना भरने के लिए निगम के सारे अधिकारी भवन निर्माताओं पर टूट पड़े…
इंदौर। नगर निगम (Municipal Corporation) द्वारा रचे गए मायाजाल में पहले खुद गलती स्वीकार करने का दबाव बनाकर दंड भरवाया जा रहा है, उसके बाद निगम द्वारा गलती की गणना अपने हिसाब से कर भवन (Building) निर्माताओं को फंसाए जाने और त्रास देने की पूरी तैयारी की जा रही है। दरअसल राज्य सरकार द्वारा 30 प्रतिशत तक के अवैध निर्माणों (Illegal Constructions) को कम्पाउंडिंग शुल्क (Compounding Fee) जमा कराकर वैध किए जाने के नियमों के बाद नगर निगम (Municipal Corporation) ने पूरे शहर में मुहिम शुरू कर बरसों पुरानी बिल्डिंगों (Old Buildings) को भी नोटिस देना शुरू कर दिए हैं, जबकि ऐसे भवनों के बिल्डर और जिम्मेदार लोग फ्लैट, दुकान, शोरूम बेचकर बरी हो चुके हैं। अब निगम का नोटिस (Notices) आने के बाद घबराए लोग निगम से लेकर वकीलों (Lawyers) तक के चक्कर लगा रहे हैं। उधर जिन भवनों के निर्माण अभी चल रहे हैं या लगभग पूर्ण हो चुके हैं, उन भवन निर्माताओं को भी सेल्फ असेेसमेंट के आधार पर दांडिक शुल्क भरने के लिए कहा जा रहा है। शुल्क जमा कराए जाने के उपरांत निगम द्वारा अपने अधिकारियों से अपने हिसाब से नपती कराई जाएगी और उस स्थिति में बिल्डर द्वारा किए गए असेसमेंट को अस्वीकार कर उस पर और करों की राशि लादे जाने की पूरी आशंका है।
राज्य शासन (State Government) ने भवन निर्माताओं द्वारा 30 प्रतिशत तक किए अवैध निर्माण कार्यों को कम्पाउंडिंग शुल्क, यानी दांडिक राशि का भुगतान किए जाने के बाद वैध किए जाने के नियम बनाए हैं। यह कम्पाउंडिंग शुल्क नियमित पास कराए जाने वाले नक्शे के शुल्क से दस गुना ज्यादा होता है। इससे पहले केवल 10 प्रतिशत तक किए अवैध निर्माण कार्यों को कम्पाउंडिंग शुल्क देकर वैध कराया जा सकता था, लेकिन अब 30 प्रतिशत तक के अवैध निर्माणों की वैधता के बाद जहां नए भवनों के निर्माता अपने निर्माण कार्यों को वैध कराने के लिए खुद आगे बढक़र आए हैं, वहीं निगम ने दस-दस साल पुरानी बिल्डिंगों को भी कम्पाउंडिंग के नोटिस दे डाले। ऐसी बिल्डिंगों में रहवासी या दुकानदार काबिज हैं और भवन निर्माता उन्हें फ्लैट और दुकान बेचकर जा चुके हैं। इन भवन निर्माताओं को नोटिस भेजे जा रहे हैं तो वे रहवासियों या दुकानदारों को इसकी खबर नहीं लगने दे रहे हैं और निगम में भी ऐसे नोटिसों के लिए कोई प्रतिकार नहीं कर रहे हैं। जिन भवन निर्माताओं द्वारा कम्पाउंडिंग शुल्क जमा कराए जाने की पहल की भी जा रही है, उन लोगों को सेल्फ असेसमेंट यानी खुद ही अपनी अवैध निर्माण की गणना किए जाने और उसके लिए शुल्क जमा कराए जाने का जिम्मेदार बनाया जा रहा है। कम्पाउंडिंग शुल्क जमा कराने वाले बिल्डरों के भवन की नपती शुल्क जमा कराए जाने के बाद की जाएगी। भवन निर्माता द्वारा की गई गणना को स्वीकार या अस्वीकार करने का अधिकार निगम अधिकारियों को रहेगा। ऐसे में निगम अधिकारी अपने हिसाब से गणना कर निर्माण का प्रतिशत बढ़ा सकते हैं। भवन निर्माता को उस गणना को चुनौती देने का भी अधिकार नहीं दिया गया है, जिसके चलते बाद में विवाद की स्थिति निर्मित हो सकती है।
सीधे एफएआर नहीं बढ़ाया शासन ने..
पहले अवैध निर्माण कराएंगे, फिर कम्पाउंडिंग शुल्क लगाकर खजाना भरेंगे
शासन द्वारा स्वीकृत निर्माण कार्यों से 30 प्रतिशत अधिक अवैध निर्माणों को प्रशमन शुल्क, यानी कम्पाउंडिंग कर वैध कराए जाने की घोषणा की गई है और इसके लिए कोई समयावधि भी निर्धारित नहीं हैै। यानी आगे भी भवन निर्माता 30 प्रतिशत तक का अवैध निर्माण वैध तरीके से कर सकेंगे। हालांकि इसके लिए स्वीकृत कराए जाने वाले नक्शे की फीस से अधिक भुगतान करना होगा। शासन द्वारा यदि सीधे एफएआर, यानी भवन निर्माण अनुमति बढ़ा दी जाती तो उसे दांडिक शुल्क के रूप में अधिक राशि प्राप्त नहीं हो सकती थी, लेकिन खजाना भरने के लिए राज्य शासन द्वारा पहले अवैध निर्माण कराया जाएगा, फिर कम्पाउंडिंग शुल्क लगाकर खजाना भरने की कोशिश की जाएगी। भवन निर्माताओं द्वारा प्रारंभ से ही 30 प्रतिशत तक के अवैध निर्माण कार्य शुरू किए जाएंगे, ताकि बाद में कम्पाउंडिंग शुल्क देकर उन्हें वैध करा लिया जाए। इस तरीके से शासन द्वारा स्वयं केवल खजाना भरने के लिए अवैध कार्यों को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
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