उज्जैन। सरकार फूल पत्तियों पर दवाई लगाती है और जड़ों को सडऩे देती है और यही कारण है कि विकास कागजों पर दिखाई देता है और राहत लोगों तक नहीं पहुँचती। उज्जैन के एक एक अस्पताल में कोरोना से सैकड़ों मौत हुई लेकिन प्रशासन मरने वालों का आंकड़ा 171 बता रहा है। शेष मरने वालों को कोरोना का प्रमाण पत्र नहीं दिए गए जिससे उन्हें मिलने वाली 50 हजार की राशि नहीं मिलेगी..। कोरोना से मृत्यु होने पर उनके वारिसों के लिए सरकार ने 50 हजार रुपये की अनुग्रह राशि देने के कलेक्टर को निर्देश दिए हैं। यदि उज्जैन जिले की बात की जाए तो यहाँ पर कोरोना की दो लहर में 171 मृत्यु दर्ज की गई है। सरकारी आंकड़ों के हिसाब से इन 171 लोगों के वारिसों को तो 50 हजार रुपए मिल जाएँगे लेकिन इसके अलावा भी हजारों मौते इस दौरान हुई है जिन्हें सरकारी रिकॉर्ड से छुपाया गया है। आंकड़े बताते हैं कि उज्जैन के चक्रतीर्थ, त्रिवेणी तथा गढ़कालिका के पीछे स्थित ओखलेश्वर श्मशान में प्रतिदिन 85 से लेकर 100 लोगों के अंतिम संस्कार फायर ब्रिगेड के द्वारा शासन ने करवाए हैं। इसके अलावा कब्रिस्तान के आंकड़े अलग हैं।
यह सब मृत्यु कोरोना काल के दौरान ही हुई हैं। अब इन्हें शासन क्या मानेगा। इनके वारिस और परिजन सहायता राशि के लिए विधायक और सांसदों के चक्कर लगा रहे हैं लेकिन वहाँ भी यह प्रमाण मांगा जाता है कि सरकारी अस्पताल के पर्चे में आपकी बीमारी कोरोना लिखी गई है या नहीं। ऐसे में लोग जो सरकारी आंकड़ों में दर्ज नहीं हो पाए उनको अनुग्रह राशि नहीं मिल पाएगी। कुल मिलाकर 171 लोगों को यह राशि मिलेगी, बाकी के लोग जो कोरोना जैसी बीमारी से ही मृत्यु को प्राप्त हुए हैं लेकिन प्रशासन ने चालाकी से उनको रिकॉर्ड में नहीं लिया। उनके परिजन या वारिस इस राशि को नहीं ले पाएंगे। उज्जैन शहर में ही यदि सर्वे कर लिया जाए तो करीब 1000 से अधिक लोग निकलेंगे। कांग्रेस पार्टी ने भी ऐसा सर्वे करवाया था लेकिन यह सर्वे कहाँ है यह पूछने वाला कोई नहीं है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved