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    उद्यान बने जंगल, जवाहर नगर के बगीचे में घूम रहे सूअर

  • November 22, 2021

    उज्जैन। शहर में स्वच्छता अभियान ढिंढोरा पीटा जा रहा है और उज्जैन को स्मार्ट शहर बनाने के लिए करोड़ों खर्च हो रहे है। जब शहर के उद्यानों का निरीक्षण किया गया तो वह किसी कचरा घर से कम नहीं दिखे। नानाखेड़ा जवाहर नगर के बगीचे में सूअर एवं उनका परिवार रहता है तथा मवैशी बैठे थे। यही हाल अन्य कॉलोनियों के बगीचे के भी हैं। शहर के बगीचों, रोटरी और डिवाइडरों के पर इन दिनों बड़ी-बड़ी गाजर घास और बबूल की झाडिय़ां हो गई हैं लेकिन नगर निगम उद्यान विभाग इस संबंध में ना सिर्फ उदासीन रवैया अपनाएं हुए हैं बल्कि गैर जिम्मेदाराना भी दिखाई दे रहा है। शहर के मुख्य बगीचों जिनमें कालिदास उद्यान, पुरुषोत्तम सागर, विष्णु सागर, नृसिंह घाट, गांधी उद्यान, नेहरू पार्क, यातायात पार्क, बालोद्यान, अटल अनुभूति, प्रियदर्शनी उद्यान, वसंत बिहार उद्यान, सुभाष नगर तालाब पार्क, लोकमान्य तिलक उद्यान, राजीव गांधी उपवन हैं, इसके अलावा की रोटरी रोड़ डिवाइडर ,रोड़ के फुटपात भी हैं जिनके रख रखाव ना होने की वजह से बदहाली के शिकार हो रहे हैं।



    बात करें इंदौर रोड से लगे आसपास के क्षेत्रों के बगीचों की तो बसन्त विहार के ,जवाहर नगर के बगीचों में सुअर, कुत्ते, गाय आदि जानवर खुलेतौर पर विचरण करते देखे जा सकते हैं नतीजतन यहाँ के उद्यानों में गंदगी कीचड़ पसरा हुआ है। स्थानीय निवासियों को इससे बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय निवासियों द्वारा कई बार नगर निगम को इसकी शिकायत की गई लेकिन निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा इसकी कोई सुनवाई नहीं की गई जिसके चलते क्षेत्र के उद्यानों की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। पिछले दो सालों में उद्यान विभाग का बजट 10 करोड़ रुपए था जिसेे बढ़ाकर 13 करोड़ कर दिया है। इसी तरह निगम नर्सरी के लिए पौधे, गमले, मिट्टी, खाद और कीटनाशक के लिए 30 रुपए के बजट को बढ़ाकर 50 लाख रुपए किया है।लेकिन आलम यह है कि नगर निगम के पास अब उद्यानों के देखने के लिए ना तो बजट है और नाही उद्यान के रखरखाव करने वाले कर्मचारियों को देने के लिए वेतन ऐसे में शहर के सारे उद्यान बदहाली का शिकार हो रहे हैं और नगर निगम के जिम्मेदार मूक दर्शक बने हुए हैं। गौरतलब है कि कुछ महीने पहले नगर निगम उद्यानों के रखरखाव के लिए फंड न होने की वजह से शहर के मुख्य उद्यानों को ठेके पर देने का मन बना चुका था और जिसके चलते प्राइवेट कंपनियों को उद्यान का ठेका देने के लिए निविदाएं आमंत्रित की गई थी जिसमें प्राइवेट कंपनियां उद्यानों मैं शादी ब्याह एवं बर्थडे पार्टी एवं अन्य कार्यक्रम कर सकते थे लेकिन स्थानीय निवासियों की आपत्ती के चलते किसी भी कंपनी के द्वारा निविदा में भाग नहीं लिया। बहरहाल शहर के बगीचे नगर निगम की अनदेखी के चलते बदहाली का शिकार हो रहे हैं और निगम के जिम्मेदार जानकर भी अनजान बने हुए हैं।

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