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    समान नागरिक संहिता पर केंद्र गंभीरता से करे विचार – हाई कोर्ट

  • November 19, 2021


    इलाहाबाद । इलाहाबाद हाई कोर्ट (Illahabad High Court) ने समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) को देश की जरूरत बताते हुए केंद्र सरकार (Central government) से इसको गंभीरता से लागू करने पर विचार करने (Seriously consider) को कहा है। बता दें कि संविधान की धारा 44 सही समय आने पर भारत में रहने वाले सभी नागरिकों के लिए एक कानून बनाने का निर्देश देता है। चाहे वो किसी भी धर्म या जाति से संबंध रखते हों।


    हाई कोर्ट ने कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड देश की जरूरत है और इसे अनिवार्य रूप से लाया जाना चाहिए। कोर्ट ने आगे कहा, ‘इसे सिर्फ स्वैच्छा से लागू करने पर नहीं छोड़ा जा सकता है। उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सुनीत कुमार ने कहा कि समान नागरिक संहिता अब समय की मांग भी है।
    गौरतलब है कि हाईकोर्ट में अलग-अलग धर्मों के दंपति ने मैरिज रजिस्ट्रेशन में अपनी सुरक्षा को लेकर याचिका दाखिल की थी। इसी को लेकर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सुनीत कुमार ने कहा कि समय की जरूरत है कि संसद एक ‘एकल परिवार कोड’ के साथ आए और अलग-अलग धर्म से आने वाले जोड़ों को ‘अपराधियों के रूप में शिकार होने से बचाएं।’

    बता दें कि समान नागरिक संहिता को लेकर दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी इस साल जुलाई में अपनी टिप्पणी में कहा था कि सरकार को समान क़ानून के बारे में विचार करना चाहिए।
    मालूम हो कि संविधान में समान नागरिक संहिता में शादी, तलाक और जमीन-जायदाद के विभाजन को लेकर हर धर्म के लिए एक ही कानून लागू करने की बात कही गई है। अंतरधार्मिक विवाह से जुड़ी 17 याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए इलाबाद हाई कोर्ट में न्यायमूर्ति सुनीत कुमार की पीठ ने कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोर्ड का मामला संवैधानिक तो है लेकिन इसे जब भी सार्वजनिक डोमेन में उठाया जाता है तो राजनीतिक उलटफेर होती है।

    दरअसल अलग-अलग धर्मों के चलते अलग कानून होने से न्यायपालिका के कामकाज पर भार पड़ता है। ऐसे में समान नागरिक संहिता लागू होने से सबके लिए एक कानून होगा तो न्याय व्यवस्था में भी तेजी आएगी। वर्षों पुराने लंबित मामलों में जल्द फैसले आएंगे। इसके अलावा शादी, तलाक, गोद लेना और जायदाद के बंटवारे में एक समान कानून होने से निपटारे में आसानी होगी। अभी पर्सनल लॉ यानी निजी कानूनों के तहत निपटारा होता है।
    इसके अलावा समान नागरिक संहिता की अवधारणा है कि इससे सभी के लिए कानून में समान रूप से राष्ट्रीय एकता मजबूत होगी। देश में हर भारतीय पर एक समान कानून लागू होने से देश की राजनीति में भी सुधार की उम्मीद है।

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