नई दिल्ली: कुलभूषण जाधव मामले में पाकिस्तान को भारत के दबाव के आगे झुकना पड़ा है. दरअसल, पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) के फैसले के अनुसार अपील करने का अधिकार देने के लिए संसद की संयुक्त बैठक में एक विधेयक पारित किया. पाकिस्तान नेशनल असेंबली ने 10 जून (गुरुवार) को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) के फैसले के संबंध में भारतीय कैदी कुलभूषण जाधव को अपील का अधिकार देने के लिए विधेयक को अपनाया था. ICJ के फैसले ने विधानसभा को “प्रभावी समीक्षा और पुनर्विचार” करने का निर्देश दिया है.
पिछले महीने पाकिस्तान की अदालत ने मौत की सजा पाए भारतीय कैदी कुलभूषण जाधव का एक कोर्ट में प्रतिनिधित्व करने के वास्ते अधिवक्ता की नियुक्ति करने के लिए भारत को और समय प्रदान कर दिया था. एक सैन्य कोर्च द्वारा जाधव को सुनाई गई सजा और दोषसिद्धि की उक्त कोर्ट में समीक्षा की जानी है. इस्लामाबाद हाईकोर्ट (आईएचसी) की तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने जाधव के लिए वकील नामित करने के संबंध में कानून मंत्रालय के मामले की सुनवाई की थी. पीठ में मुख्य न्यायाधीश अतहर मिनल्लाह, न्यायमूर्ति आमेर फारूक और न्यायमूर्ति मियांगुल हसन औरंगजेब शामिल थे.
पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल खालिद जावेद खान ने अदालत को याद दिलाया था कि उसने पांच मई को एक आदेश पारित किया था जिसमें अधिकारियों से वकील की नियुक्ति के लिए भारत से संपर्क करने का एक और प्रयास करने को कहा गया था. उन्होंने अदालत को सूचित किया था कि संदेश भारत को दिया गया था, लेकिन अब तक कोई प्रतिक्रिया प्राप्त नहीं हुई है. भारत एक अलग कमरे में जाधव तक राजनयिक पहुंच चाहता है, लेकिन अधिकारी उसे भारतीय प्रतिनिधियों के साथ अकेले छोड़ने का जोखिम नहीं उठा सकते. उन्होंने कहा था, ‘वे उससे सिर्फ हाथ मिलाकर भी उसे नुकसान पहुंचा सकते हैं.’
आईसीजे ने जुलाई 2019 में फैसला सुनाया था
भारतीय नौसेना के सेवानिवृत्त अधिकारी, 50 वर्षीय जाधव को पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने जासूसी एवं आतंकवाद के आरोपों में अप्रैल 2017 में दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुनाई थी. भारत ने जाधव को राजनयिक पहुंच न देने और मौत की सजा को चुनौती देने के लिए पाकिस्तान के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय अदालत (आईसीजे) का रुख किया था.
द हेग स्थित आईसीजे ने जुलाई 2019 में फैसला दिया कि पाकिस्तान को जाधव को दोषी ठहराने और सजा सुनाने संबंधी फैसले की ‘‘प्रभावी समीक्षा एवं पुनर्विचार’’ करना चाहिए. साथ ही जाधव तक पहुंच उपलब्ध कराने के लिए बिना देरी किए भारत को अवसर उपलब्ध कराए जाने चाहिए. अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने अपने 2019 के फैसले में पाकिस्तान से जाधव को सुनाई गई सजा के खिलाफ अपील करने के लिए उचित मंच उपलब्ध कराने को कहा था.
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