- पिछले साल पूरे जिले में 2 हजार 710 सड़क दुर्घटनाएँ हुई थीं-1500 लोग हुए थे गंभीर घायल-इस साल के शुरुआती पाँच महीनों में भी 290 एक्सीडेंट हो गए
उज्जैन। प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़ों को अपडेट करने के लिए राज्य शासन ने आईआरएडी ऐप अर्थात इंटीग्रेटेड रोड एक्सीडेंट डाटाबेस ऐप्प तैयार किया है जिसने पूरे प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं के मामले में उज्जैन अभी भी चौथे नंबर पर बना हुआ है। पिछले साल पूरे जिले में 2 हजार 710 सड़क दुर्घटनाएँ हुई थीं। इनमें से लगभग 12 से 13 फीसदी हादसे बडऩगर तथा आगर रोड पर हुए थे।
उज्जैन जिला पूरे प्रदेश में सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटनाओं वाले जिलों की सूची में चौथे नंबर पर बना हुआ है। उज्जैन शहर को बाहरी जिलों से जोडऩे वाले मुख्य मार्गों में इंदौर रोड, देवास रोड और मक्सीरोड के अलावा आगर रोड तथा बडऩगर, बदनावर मार्ग भी प्रमुख हैं। पिछले साल जिले में हुई सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़े बताते हैं कि यह सभी मार्ग वाहन चालकों के लिए कम खतरे वाले नहीं हंै। दो साल पहले तक इन पाँच प्रमुख बाहरी मार्गों पर 380 ब्लैक स्पॉट अर्थात सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटना होने वाले स्थान जिनमें अंधे मोड़, बेतरतीब स्पीड ब्रेकर, संकरे तिराहे और चौराहे शामिल हैं। इनमें भी अब इजाफा हो गया है और ब्लैक स्पॉट बढ़कर 500 के लगभग चिह्नित हो गए हैं। इनमें उज्जैन से बडऩगर का मार्ग भी यातायात के दृष्टि से सबसे अधिक दुर्घटना संभावित मार्ग बना हुआ है। यहाँ उज्जैन से बडऩगर तक के सफर के बीच 32 अंधे और घुमावदार मोड़ हैं, जहाँॅ आए दिन सड़क दुर्घटनाएँ घटती हैं। आईआरएडीएफ में जारी आंकड़े बताते हैं कि पिछले साल जनवरी से लेकर दिसंबर 2020 तक 2 हजार 710 सड़क दुर्घटनाएं हुई थीं, इसमें 1500 के लगभग लोगों को गंभीर चोटें आई थीं और 200 के करीब लोगों की पूरे जिले में अलग-अलग दुर्घटनाओं मे मौत तक हो गई थी। बडऩगर रोड के अलावा दुर्घटनाओं की दृष्टि से उज्जैन आगर रोड भी कम खतरनाक नहीं है। यहाँ भी आए दिन भीषण दुर्घटनाएँ होती हैं और लोगों के घायल होने से लेकर उनकी जान तक चली जाती है। इस साल के शुरुआती पाँच महीनों में ही बडऩगर रोड तथा आगर रोड पर छोटी बड़ी 290 सड़क दुर्घटनाएँ दर्ज हो चुकी हैं। पूर्व में भी इन दोनों मार्गों पर गंभीर जानलेवा हादसे हुए हैं। हादसे के बाद मार्गों की एमपीआरडीसी और पुलिस प्रशासन के अधिकारियों ने मौके पर जाँच भी की। संकरे और अंधे मोड़ तथा चौराहों को सुधारने की आवश्यकता भी बताई गई लेकिन बडऩगर रोड और आगर रोड की हालत में अभी भी कोई खास सुधार नहीं हुआ है। आगर रोड पर तो पिछले एक साल से बड़े-बड़े गड्ढे लोगों की जान ले रहे थे। क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों के आंदोलन के बाद इनका सुधार नहीं हो पाया। इनमें सिर्फ मिट्टी और गिट्टी भरकर पेंचवर्क ही कराया गया। ऐसे में इन मार्गों पर सड़क दुर्घटनाएँ रोकना आसान नहीं लग रहा।