पेरिस: किसी देश का झंडा उसकी पहचान होती है. देश के लोगों को अपने झंडे से बहुत प्यार होता है. इंटरनेशनल खेलों के दौरान खिलाड़ी अपने झंडे के जरिए ही पहचाने जाते हैं. ये झंडे कई सालों से चले आ रहे हैं. ऐसे में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों (Emmanuel Macron) ने फ्रांस के झंडे का रंग आसानी से बदल दिया है. बता दें कि मैक्रों ने आधिकारिक फ्रांसीसी ध्वज पर गहरे नीले रंग का उपयोग करना शुरू कर दिया है, जो पिछले चमकीले रंग की जगह ले रहा है.
मैक्रों ने बदला झंडे का रंग
डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रपति मैक्रों ने अपने देश के झंडे में बदलाव करने की ठानी और इसे 1793 जैसे फ्रांसीसी ध्वज जैसा करने का फैसला किया. उनके अनुसार यह गहरा रंग फ्रांसीसी क्रांति का प्रतीक है. बदलाव का यह निर्णय मैक्रों की सरकार के भीतर बहुत बहस का मुद्दा था. कई मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो कुछ अधिकारियों ने नए रंग को बदसूरत माना जबकि मैक्रोन ने महसूस किया कि गहरा रंग अधिक सुरुचिपूर्ण (Elegant) था. अब नया झंडा एलिसी पैलेस और नेशनल असेंबली सहित राजधानी भर के सरकारी भवनों में लगा दिया गया है.
[relpsot]
पहले इस्तेमाल होता था गहरे रंग का झंडा
साल 1790 के दशक में फ्रांसीसी क्रांति के दौरान इस झंडे का इस्तेमाल पहली बार तब किया गया था जब साल 1792 में पहले फ्रांसीसी गणराज्य की स्थापना की गई थी. जैक्स-लुई डेविड द्वारा डिजाइन किया गया यह तिरंगा झंडा आधिकारिक तौर पर 1794 में राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया गया था. इस ध्वज का हल्का संस्करण 1976 में राष्ट्रपति वालेरी गिस्कार्ड डी’स्टाइंग (Valéry Giscard d’Estaing) द्वारा टेलीविजन पर सरकारी भाषणों में उपयोग के लिए पेश किया गया था.
ऐसे बना फ्रांस का झंडा
आपको बता दें कि नीला और लाल पेरिस के पारंपरिक रंग हैं और फ्रांसीसी क्रांति के दौरान मिलिशिया द्वारा उपयोग किए गए थे. देश के गठन के बाद, प्रतीक का राष्ट्रीयकरण करने के लिए सफेद रंग को जोड़ा गया. क्रांतिकारी आदर्श वाक्य के तीन तत्वों का प्रतिनिधित्व करने के लिए तीन रंगों को कभी-कभी लिया जाता है, लिबर्टे (स्वतंत्रता: नीला), एग्लिटे (समानता: सफेद), बिरादरी (भाईचारा: लाल).
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved