भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भोपाल में जनजातीय महासम्मेलन के दौरान सभी को बिरसा मुंडा जयंती की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि भारत की आजादी में जनजातीय समाज का बहुत योगदान है, लेकिन उनके इतिहास को अंधेरे में रखा गया। विपक्ष पर निशाना साधते हुए पीएम ने कहा कि जनजातीय समाज के बारे में देश को बताया ही नहीं गया।
जानकारी दी भी गई तो बहुत सीमित दायरे में दी गई। ऐसा इसलिए क्योंकि आजादी के बाद दशकों तक जिन्होंने सरकार चलाई, उन्होंने स्वार्थ को प्राथमिकता दी। भारत की आबादी का 10 फीसदी हिस्सा होने के बावजूद सरकार ने उनके योगदान को नजरअंदाज कर दिया। आदिवासियों की परंपरा, उनकी बहादुरी को नजरअंदाज किया गया। क्या जनजातीय समाज के योगदान के बिना स्वतंत्रता संग्राम की कल्पना की जा सकती है।
दुनिया को भारत की जनजातियों से सीखने की जरूरत
पीएम ने कहा कि दुनिया के पढ़े लिखे देशों में भी टीकाकरण को लेकर सवाल उठते हैं। लेकिन मेरा आदिवासी भाई अपनी जिम्मेदारी समझता भी है उसे निभाता भी है। इससे बड़ी बात क्या होगी। सबसे बड़ी महामारी से पूरी दुनिया लड़ रही है। इस बीच जनजातीय समाज के भाइयों का वैक्सिनेशन के लिए आगे आना अपने आप में अनोखा है। बाकी लोगों को भारत की जानजाति से सीखना चाहिए।
बाबासाहेब पुरंदरे को किया याद
आज जब मैं आपसे अपनी विरासत संजोने की बात कर रहा हूं तब मैं आपसे बाबासाहेब पुरंदरे की भी बात करुंगा। बाबासाहेब पुरंदरे ने छत्रपति शिवाजी महाराज के इतिहास को लोगों तक पहुंचाने का जो काम किया, वो अभूतपूर्व है। यह आदर्श हमें निरंतर प्रेरणा देते रहेंगे।
भुलाया नहीं जा सकता आदिवासियों का योगदान
गुलामी के कालखंड में विदेशी शासन के खिलाफ मिजो आंदोलन, रानी कमलापति का बलिदान, देश इन्हें भूल नहीं सकता। वीर महाराणा प्रताप के संघर्ष की कल्पना उन बहादुर भीलों के बिना नहीं की जा सकती, जिन्होंने कंधे से कंधा मिलाकर राणा प्रताप के साथ युद्ध के मैदान में खुद को बलि चढ़ा दिया। हम इन सभी लोगों के ऋणि हैं। लेकिन अपनी विरासत में उन्हें उचित स्थान देकर अपना दायित्व जरूर निभा सकते हैं।
तेजी से हो रहा आदिवासियों के लिए काम
आज चाहे गरीबों के घर हों या शौचालय हों या स्कूल हों या मुफ्त बिजली कनेक्शन। यह सब जिस गति से शहरों में हो रहा है, उसी गति से आदिवासी क्षेत्रों में भी हो रहा है। आज अगर देश के करोड़ों परिवारों को पीने का शुद्ध पानी पाइप से पहुंचाया जा रहा है, तो यही काम आदिवासियों के लिए भी चल रहा है।
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