नई दिल्ली। लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में पर आज फिर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह जिसे उचित समझे एसआईटी जांच की निगरानी के लिए नियुक्त कर सकता है।
जिसपर शीर्ष कोर्ट ने बुधवार तक के लिए सुनवाई टाल दी। सुप्रीम कोर्ट 17 नवंबर (बुधवार) को मामले की निष्पक्ष जांच के लिए रिटायर न्यायाधीश की नियुक्ति पर आदेश देगा। उत्तर प्रदेश सरकार मामले की जांच की निगरानी के लिए राज्य के बाहर एक पूर्व उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति के लिए सहमत हो गई है।
राज्य सरकार की ओर से हरीश साल्वे ने कहा कि जज, जज होते हैं, किसी भी हाईकोर्ट के पूर्व जज को नियुक्त किया जा सकता है (इलाहाबाद हाईकोर्ट सहित) इसपर शीर्ष कोर्ट ने सहमति जताई। कोर्ट ने मंगलवार तक के लिए समय मांगा है।
सुप्रीम कोर्ट ने पहले राज्य को एक हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश को नियुक्त करने का निर्देश दिया था और जस्टिस राकेश कुमार जैन, रंजीत सिंह के नाम सुझाए थे। शीर्ष कोर्ट ने राज्य के कुछ वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को भी एसआईटी में शामिल करने को कहा था।
पिछले महीने हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को घटना के गवाहों को सुरक्षा देने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने यूपी सरकार से लखीमपुर हिंसा में पत्रकार रमन कश्यप और एक श्याम सुंदर की हत्या की जांच पर जवाब दाखिल करने को भी कहा था।
गवाहों की सुरक्षा सबसे अधिक जरूरी: सुप्रीम कोर्ट
सीजेआई ने आगे कहा कि वहां जुटी भीड़ में बहुत से लोग सिर्फ सही से लोग जानकारी देने से कतराएंगे। मजबूत गवाहों की पहचान जरूरी है। क्या कोई गवाह घायल भी है? वीडियो का परीक्षण जल्दी करवाइए। नहीं तो हमें लैब को निर्देश देना होगा। इसमें गवाहों की सुरक्षा सबसे अधिक जरूरी है। हम गवाहों की सुरक्षा का निर्देश देते हैं। सभी गवाहों के बयान मजिस्ट्रेट के सने दर्ज करवाए जाएं।
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