इस्लामाबाद। पाकिस्तानी सरकार (Pakistani government) और चरमपंथी संगठन तहरीक-ए-लब्बैक-पाकिस्तान Tehreek-e-Labbaik-Pakistan (TLP) के बीच हाल ही में हुआ समझौता पर्यवेक्षकों की नजर में देश में आतंकवादियों को मुख्यधारा से जोड़ने की कवायद का ही हिस्सा है। पाकिस्तान(Pakistan) में अक्सर मुख्यधारा की राजनीतिक पार्टियां आतंकी समूहों से गठबंधन कर लेती हैं और अपने राजनीतिक एजेंडा को पूरा करने के लिए धर्म का इस्तेमाल करती हैं। हालांकि, ये गठबंध लंबे समय में नुकसान का कारण बनते हैं।
पाकिस्तान(Pakistan) के डॉन न्यूज में छपे लेख के मुताबिक, अमेरिकी राजनीतिक वैज्ञानिक पॉल सैंटिलन (American political scientist Paul Santillon) ने जर्नल ऑफ कॉन्फ्लिक्ट रिजॉल्यूशन(Journal of Conflict Resolution) के 2015 के अंक में लिखा है, इन अदूरदर्शी रणनीतियों ने हमेशा लंबे समय तक नुकसान पहुंचाया है। पाकिस्तान के लिए यह पहली बार नहीं जब मौजूदा सरकार और टीएलपी के बीच गठबंधन हुआ हो। टीएलपी का गठन साल 2015 में हुआ था। यह चरमपंथी संगठन खुद को ईशनिंदा कानून का सबसे बड़ा रखवाला बताता है। कई मौकों पर इस संगठन ने सड़कों पर अपनी ताकत दिखाई है और यह भी साबित करने की कोशिश की है कि वह बड़ी राजनीतिक पार्टियों के वोट बैंक को कैसे नुकसान पहुंचा सकता है।
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