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    लोकार्पण से पहले हबीबगंज स्टेशन का नाम बदला, रानी कमलापति के नाम का प्रस्ताव मंजूर

  • November 13, 2021

    भोपाल। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की राजधानी भोपाल (Bhopal) का विश्व स्तरीय हबीबगंज रेलवे स्टेशन (world class Habibganj railway station) बनकर तैयार हो चुका है। करीब सौ करोड़ की लागत से इस स्टेशन का कायाकल्प किया गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) आगामी 15 नवम्बर को जनजातीय गौरव दिवस के मौके पर अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस इस स्टेशन का लोकार्पण करने वाले हैं, लेकिन इससे पहले इसका नाम बदलने की तैयारी हो रही है। राज्य सरकार ने शुक्रवार को केन्द्र सरकार को इस स्टेशन का नाम रानी कमलापति के नाम पर करने का प्रस्ताव भेजा था जिसे मंजूर कर लिया गया है।

    भोपाल के हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदलने की मांग लंबे समय से की जा रही थी। स्थानीय नागरिकों के साथ-साथ भोपाल सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, भाजपा के वरिष्ठ नेता जयभान सिंह पवैया समेत अनेक राजनेता इस स्टेशन का नाम बदलने की मांग कर चुके थे। भाजपा नेता पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर इस स्टेशन का नाम करने की मांग उठा रहे थे। यह देश का पहला विश्वस्तरीय रेलवे स्टेशन है। प्रधानमंत्री मोदी आगामी 15 नवम्बर को भोपाल में जनजातीय महासम्मेलन में शामिल होंगे, साथ ही इस विश्व स्तरीय स्टेशन का लोकार्पण भी करेंगे।


    इसी बीच शुक्रवार को मध्यप्रदेश शासन के परिवहन विभाग ने इस स्टेशन का नाम बदलने के संबंध में केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेज था जिसे मंजूर कर लिया गया है। केन्द्रीय गृह मंत्रालय को भेजे गए इस प्रस्ताव में हबीबगंज स्टेशन का नाम रानी कमलापति के नाम पर करने का जिक्र किया गया है।

    परिवहन मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक हबीबगंज का नाम भोपाल रियासत की रानी कमलपति के नाम रखा गया है। इसके लिए प्रदेश सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को शुक्रवार को प्रस्ताव भेज भी दिया है। सूत्रों के मुताबिक लोकार्पण के साथ ही स्टेशन को नया नाम देने की कवायद लंबे समय से चल रही है। सबसे पहले भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के नाम पर स्टेशन का नाम रखने का प्रस्ताव आया था। जिस पर सभी की सहमति थी। इसके बाद चूंकि 15 नवंबर देशभर में जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाया जा रहा है, इसलिए भोपाल रियासत की रानी कमलापति के नाम पर भी विचार किया गया। जिस पर बाद में सभी की बन गई। इसके बाद ही राज्य सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा है। प्रस्ताव में उल्लेख किया गया है कि 16वीं सदी में भोपाल गोंड शासकों के अधीन था।

    गौरलतब है कि 16वीं सदी में भोपाल क्षेत्र गोंड शासकों के अधीन था। माना जाता है कि गोंड राजा सूरज सिंह के पुत्र निजामशाह से रानी कमलापति का विवाह हुआ था। रानी कमलापति ने अपनी पूरे जीवन में बहादुरी और वीरता से आक्रमणकारियों का सामना किया था। भारत सरकार ने 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने को निर्णय लिया है। इसी दिन प्रधानमंत्री मोदी रेलवे स्टेशन का लोकार्पण करेंगे। इसीलिए इस स्टेशन का नाम रानी कमलापति रेलवे स्टेशन के रूप में किए जाने का निर्णय लिया है। (एजेंसी, हि.स.)

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