नई दिल्ली: ऐसा माना जा रहा है कि क्रिप्टोकरेंसी (cryptocurrency) पर इनकम टैक्स और जीएसटी दोनों लगेगा. हालांकि अभी यह पुष्ट खबर नहीं है. सरकार को अभी इस पर नियम बनाना है. मीडिया रिपोर्ट्स में ऐसा कहा गया है कि सरकार क्रिप्टोकरेंसी को करेंसी का दर्जा नहीं देगी बल्कि इसे केवल निवेश का साधन माना जाएगा.
सरकार शीत सत्र में क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ा बिल ला सकती है. उसी बिल में माल एवं सेवा कर (GST) और इनकम टैक्स के बारे में डिटेल जानकारी दी जाएगी. ‘बिजनेसलाइन’ की एक रिपोर्ट बताती है कि शीत सत्र से पहले वित्तीय मामलों की स्टैंडिंग कमेटी 15 नवंबर को एक बैठक करने वाली है. इस बैठक में क्रिप्टो एसेट पर विस्तार से चर्चा की जाएगी. सरकार के एक सूत्र ने ‘बिजनेसलाइन’ से कहा कि क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े कानून को लेकर ग्राउंडवर्क तैयार किया जा रहा है.
टैक्स लगाने की तैयारी
सूत्र के मुताबिक, क्रिप्टोकरेंसी का मुख्य मसला टैक्स है. क्रिप्टो से अगर कुछ कमाई होती है तो मौजूदा नियम के मुताबिक यह कैपिटल गेन्स में आएगा. ठीक इसी तरह, क्रिप्टोकरेंसी के साथ कोई सर्विस जुड़ती है तो उस पर जीएसटी लगेगा. इसका अर्थ हुआ कि क्रिप्टो से जुड़े कानून में टैक्स को शामिल किया जा सकता है. इसके बाद फाइनेंस बिल में इस पर डायरेक्ट टैक्स का प्रावधान रखा जा सकता है. क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) की सर्विस पर कितना टैक्स लगेगा, इसका फैसला जीएसटी काउंसिल लेगी.
अभी क्या है सिस्टम
अभी तक यह भी साफ नहीं है कि Cryptocurrency को करेंसी का दर्जा मिलेगा या निवेश की किसी संपत्ति का. सूत्र ने बताया कि इसकी संभावना बहुत कम है कि क्रिप्टोकरेंसी को किसी करेंसी का दर्जा मिले. उन्होंने कहा, देश में फिएट करेंसी का एक पूरा सिस्टम है जिसके अंतर्गत रुपये-पैसे के चलन को रेगुलेट किया जाता है. यह काम रिजर्व बैंक के जरिये होता है. फिएट करेंसी की वैधता को भी रिजर्व बैंक ही नियमित करता है. इस काम में आरबीआई सरकार के साथ परामर्श करता है. यह सिस्टम आगे भी जारी रहेगा.
क्रिप्टोकरेंसी इक्विटी में या करेंसी में?
भारत में जितनी भी करेंसी और बैंकिंग प्रोडक्ट है, उनका रेगुलेशन RBI करता है जबकि इनवेस्टमेंट एसेट जैसे कि इक्विटी और कमॉडिटी को सेबी यानी कि सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया देखता है. RBI बहुत पहले से क्रिप्टोकरेंसी को लेकर अपनी बात रखता रहा है. केंद्रीय बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास कह चुके हैं कि क्रिप्टोकरेंसी को लेकर कुछ वाजिब चिंताएं हैं जिन्हें सरकार के सामने रखा गया है.
सूत्र ने कहा, रिजर्व बैंक की चिंताएं या ऐतराज बहुत गंभीर हैं और चीन में क्रिप्टोकरेंसी पर लगे प्रतिबंध के आलोक में उठाए गए हैं. लेकिन सरकार उन देशों के उदाहरण भी ध्यान में रख रही है जहां क्रिप्टोकरेंसी एक रेगुलेशन के दायरे में लाया गया है. ऐसा कई यूरोपीय देशों में देखा जा रहा है. ऐसे सरकार की कोशिश एक बीच का रास्ता निकालने की है. इसका अर्थ हुआ कि Cryptocurrency पर पूर्णतः प्रतिबंध नहीं लगेगा जैसा कि पहले भी प्रस्ताव में कहा गया है.
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